रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
--------------------------------------------------------------
-मुक्तछंद-
।। रिक्शा चलाता हुआ बच्चा ।।
मोटे पेट वाली सवारी को
पूरी ताकत के साथ ढोता है
रिक्शा चलाता हुआ बच्चा।
उबड़खाबड़
टूटी-फूटी सड़क पर
हैंडिल और पैडल पर
जोर लगाते हुए
पूरे शरीर को
कमान बनाते हुए।
आंधी-बारिश, चिलचिलाती धूप को
हंसते-हंसते सह जाता है
रिक्शा चलाता हुआ बच्चा
मोटे पेट वाली सवारी को
सुख-सविधा जुटाता हुआ बच्चा।
बच्चा दिन-भर
करता है जुगाड़
महंगी दवाइयों की
रोटी की-सब्जी की
बूढ़ी अम्मा के लिए
बीमार बापू के लिए
रिक्शा चलाते हुए
पसीना में तर होते हुए
दौड़ते हांफते
जाड़े में कांपते
पगडंडी नापते
खुद भी एक
रिक्शा हो जाता है
रिक्शा चलाता हुआ बच्चा
मोटे पेट वाली सवारी को
उठाता हुआ बच्चा।
-रमेशराज
………………………………………………………………………………
0 टिप्पणियाँ
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.