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शाबाश इँटेलीजेँट ग्रुप [कहानी]- विजयकांत मिश्रा





रचनाकार परिचय:-



विजयकांत मिश्रा
बेचलर आफ ज्र्न्लिज्म मास कम्यूनिकेशन,
मास्टर ओफ कामर्स
(बिज.ओर्ग.& इकनमिक्स & अक्काउनटस)
164/5,सेंट्रल स्कूल रोड.कोटा(राज) 324002
Moba:9799241575



मुकुट: यार,पत्तू मुझे तो लग रहा हे,इस बार भी नरेश इयरली एगजाम मेँ प्रथम आयेगा।

यार! लेकिन कुछ दिनोँ से वो कक्षा मे भी नही दिख रहा हे। हाकी मेँ तो वो सेटँर फार्वड हे।हाकी मेँ तो उसका सलेक्शन भी हो चुका हे।

लैकिन वो हे कहाँ ?

यार ! वो दूर दराज सोगरीया मेँ तो रहता है।विगत सोमवार को प्रीँसीपल साहब ने भी बुलाया था।उसके बाद तो वह स्कूल भी नही आया?

कक्षा 11 का जय सिघँवी बता रहा था कि नरेश के कपड़े भी गँदे थे।वो बहुत घबरा भी रहा था। वो अनमने भाव से स्कूल से भागता हुवा निकला था।

लैकिन वो स्कूल क्योँ नही आया?

आज दस दिन होने को आये,उसका कोई अता पता नही हे?

बीस दिन बाद इयरली एगजाम आ रहे हेँ।

इतने मेँ नारायण,दीलीप,नितेश भी आ गये थे।सभी गहन विचार विमर्श मेँ व्यस्त हो गये थे।आखिरकार नरेश हे कहाँ? वो स्कूल क्योँ नही आ रहा हे?

एक दिन नारायण कोटा जँ पर अपने रिश्तेदार को छोड़ने गया।वहाँ उसने नरेश को कुली बन कर काम करते देखा।उसे बहुत आश्चर्य हुवा।उसने नरेश को आवाज भी लगाई।नरेश उसकी आवाज सुनते ही उसे देखकर स्टेशन से भाग गया।

नारायण ने यह वाकया सभी को आकर बताया.सभी को बहुत दुख हुवा।सभी व्यथीत थे,कि आखिर वो क्या कारण हेँ जिनसे नरेश को ये कदम उठाना पड़ा?

वैसे स्कूल मेँ इन सभी का ग्रुप इँटेलीजेँट ग्रुप कहलाता हे।क्योकिँ सभी पढ़ाई लिखाई मेँ अग्रणी रहते थे।

नरेश तो खेल कूद के साथ ही पढ़ाई लिखाई मेँ भी अग्रणी रहता था।

सभी ने सोच विचार किया कि सभी नरेश से दिन के समय स्टेशन पर मिलेँ।

अगले दिन सभी स्टेशन पर पहुच गये।

नरेश सभी को देखकर झेँप गया।वो भागने लगा। सभी ने भाग कर उसे पकड़ा।नरेश रुआँसा हो गया।

सभी नरेश को आइ.आर.सी.टी.सी.केटीँन ले गये।वहाँ चाय पीते पीते सभी ने समझाया।

नरेश! हम सभी तेरे दोस्त हेँ। तू खिलाड़ी रहा हे,हष्ट पुष्ट हे, कुली का काम करना कोई शर्म की बात नही हे।तू तो मेहनत और इमानदारी से काम कर रहा हे। लैकिन एसी क्या परेशानी आ गई कि तुझे पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

यार! तुम सभी को तो पता हे कि मैँ तुम सभी के मामले मेँ आर्थिक ओर वित्तिय मामले मेँ सबसे कमजोर हूँ।

तुम सभी को पता हे कि मेरे पिताजी प्राइवेट कँपनी मेँ काम करते थे। वो कँपनी अचानक बँद हो गई।कँपनी का मालिक कँपनी के ताला लगा कर भाग गया।पिताजी को एक भी पैसा नही मिला। वो बीमार भी हो गए।वो अभी अस्पताल मेँ भर्ती हेँ।केवल हाकी खेलने से तो रोजी रोटी चल नही सकती हे।घर मेँ तो दाने दाने को मोहताज हेँ।स्कूल की फीस कहाँ से जमा करवाता।अभी कुली का काम करके कम से कम घर का खर्च तो चल रहा हे।

सभी ने यही कहा कि नरेश तू कोई भी काम कर किँतु पढ़ाई मत छोड़।हम सब तेरे दोस्त हेँ,हम कुछ करते हेँ।वैसे भी तू कड़ी मेहनत ओर इमानदारी का काम कर रहा हे।किसी भी काम को छोटा नही समझना चाहीये।

देख!हम सभी मिल कर कुछ करतेँ हे।लैकिन तू हमारी किसी भी मदद को मना मत करना।क्योकिँ अभी हालत तेरे बेहद बदतर हेँ।तू बाद मेँ लोटा देना।

दूसरे दिन सभी स्कूल के ग्राऊँड मेँ इकटठा हुवे।सभी ने निर्णय लिया कि नरेश को की गई मदद का अपने घर वालोँ को पता भी नही लगना चाहीये।

आज से सभी अपनी पाकेट मनी नितेश के पास जमा करायेगेँ।

हम सभी ने मिल कर नरेश का स्टेट बैँक आफ इडिँया मेँ अकाउँट भी खुला लिया। स्कूल के प्रीँसीपल को भी नरेश बाबत सभी बाते खुल कर बतादीँ।प्रीँसीपल सा: भी नेक दिल इँसान थे।उन्होने फीस भी कम कर दी ओर फीस जमा करने बाबत 5 दिन ओर दे दिये।

अब सभी फीस के पैसे जुटाने मेँ जुट गए।अभी भी फीस मेँ 4000रु.घट रहे थे।हम सभी ने इस बाबत दिन रात एक कर दिये।हमारी मेहनत रगँ ला रही थी।

सभी ने मिल कर कुछ एक्स स्टुडेँटस से भी सपँर्क किया। कुछ शहर के भामाशाहोँ से भी सपँर्क किया।स्कूल के टीचर्स ने भी सहयोग दिया।उन्होने
भामाशाहोँ से भी सपँर्क किया।नरेश पढ़ाई लिखाई,खेल कूद मेँ अग्रणी होने के पश्चात सामाजिक ओर मिलन सार भी था।अत: वाछिँत पैसा शीघ्र प्राप्त हो गया।

हम सभी ने सबसे पहले उसकी फीस जमा करा दी।इससे उसे इयरली एगजाम देने की परमीशन मिल गई।हमने अपनी पढ़ाई के साथ साथ अपने नोटस नरेश को भी दिये।

बेँक का एटीएम भी उसे दे दिया।उसके पिताजी के अस्पताल का खर्चा,दवाईयोँ के खर्च बाबत उसके परीवार का बीपीएल पजिँकापत्र भी बनवा दिया।हाँलाकि बहुत प्रशासनिक कठिनाईयाँ भी आईँ।

अब नरेश के जीवन की पटरी कुछ कुछ रास्ते पर आ रही थी।

इयरली एगजाम नजदीक आने पर नारायण ने नरेश को अपने घर पर ही बुला लिया। नरेश दिन मेँ स्टेशन पर काम भी करता ओर रात को हम सभी के यहाँ बारी बारी से पढ़ता।

हम सभी उसका मनोबल बनाए रखते थे। हाँलाकि वो इँटेलीजेँट था। उसका मानना था वो केवल पास हो पायेगा।

समयान्तरण इयरली एगजाम का रिजल्ट आया। हम सभी प्रथम श्रेणी मेँ पास हुवे थे। कितुँ नरेश टाप पर था।

नरेश को स्कूल की तरफ से लेपटाप मिला था। समर वेकेशँस प्रारभँ हो चुकी थीँ।नरेश स्टेशन पर काम भी करता ओर बाकि समय लेपटाप पर टेली अकाउँटिगँ भी सीखता।
टेली अकाउँटिगँ मेँ पारगँत ह़ोने पर वो एक शो रुम मेँ पार्ट टाइम अकाउँटेँट भी बन गया था।

अब हम सभी की मँजिलेँ अलग अलग हो रही थीँ।

प्रीँसीपल सा:ने विदाई समारोह मेँ सभी को आमँत्रित किया।

मुख्य भाषण मेँ उन्होने नरेश के जज्बे को सलाम किया।साथ ही हम सभी के बारे मेँ कहा:शाबाश इँटेलीजेँट ग्रुप।

शाबाश।

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