रचनाकार परिचय:-
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ए-1, एमपीईबी कालोनी
शिलाकुंज, रामपुर, जबलपुर
मो. 9425484452
ए-1, एमपीईबी कालोनी
शिलाकुंज, रामपुर, जबलपुर
मो. 9425484452
दोहे
माॅ सरस्वती कर कृपा इतना मनुज को दान दे
विश्व के कल्याणहित माॅ बुद्धि का वरदान दे
वंदना मे स्वार्थ सुख की जो सदा चलता रहा
दूसरो की प्रगति मे दुख द्वेष से जलता रहा
उस अभागे आदमी को सुमति दे माॅ ज्ञान दे
कल्पना कल की सुखद ले सीख ले इतिहास से
नवसृजन की कामना ले जी सके विश्वास से
शांति सुख सद्भाव जग में बढ सके यह ध्यान दे
सज गया है आज आॅगन विकसते विज्ञान से
मिट रहा पर घर बढे अध्यात्मिक अज्ञान से
जी सके सन्मान से माॅ त्रस्त जग को ऋण दे
हर तरह से आदमी करता रहा जो भूल है
व्यर्थ की आलिप्ति औं आसक्ति उसका मूल है
चेतना दे माॅ उसे कल काउचित अनुमान दे
माॅ सरस्वती कर कृपा इतना मनुज को दान दे
0 टिप्पणियाँ
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.