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वो और कोई नहीं माँ थी [कविता]- राजेश भंडारी "बाबु"

रचनाकार परिचय:-


राजेश भंडारी “बाबु”
१०४ महावीर नगर इंदौर
९००९५०२७३४

वो और कोई नहीं माँ थी

सब बाल्टी भर के नहाते थे
कपड़े भी रोज धुलवाते थे
कोई भी प्यासा नहीं जाता था
सारा पानी सर पर उठा के आता था
उस पानी को कुवे खीच कर सर पर
लाने वाली और कोई नहीं ...माँ थी |

गर्मी में कुवे में पानी सुख जाता था
शरीर कुवे के अन्दर झुक जाता था
सबेरे जल्दी पानी भरने जाती थी
दोपहर तक वो रोटी नहीं खाती थी
सबको समय पर भोजन करवाती थी
धुवे वाले चूल्हे पर आसू पोछती
और कोई नहीं .....माँ थी |

थोड़ा बाद में हेंड पम्प गाव में आया
बड़ा ख़ुशी का माहोल उसने बनाया
हर कोई सुबह जल्दी पानी भरता
माँ भी जल्दी पानी भरने का जी करता
हेंड पम्प से पेट में बल पड़ जाते थे
फिर भी सब पूरी बाल्टी से नहाते थे
रोज रात को पेट पकड़ कर रोने वाली
और कोई नहीं ............माँ थी |

गर्मी की छुट्टी में बहुत मेहमान आते
गर्मी से निजात का अरमान लाते
पर उसको तो पानी का बेडा दीखता
खाली टंकी और हलक में थुक सूखता
भरे बुखार सर पर पानी लाने वाली
और कोई नहीं .......माँ थी ,,माँ थी



राजेश भंडारी "बाबु"
९००९५०२७३४

Rajesh Bhandari "babu"
104 Mahavir Nagar Indore
9009502734




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