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नहीं आते [गज़ल]- अर्पित शर्मा "अर्पित"

रचनाकार परिचय:-

नाम :- अर्पित शर्मा "अर्पित"
शह्र :- शाजापुर (मध्यप्रदेश)
जन्म दि :- 28-04-1992
जन्म स्थान :- उज्जैन ( मध्यप्रदेश)

कितने हैं परिशां ये बताने नहीं आते,
अब हमको किसी तरह सताने नहीं आते,,


हम जैसे है वैसे ही नज़र आते है सबको,
चेहरे पे हमे चेहरे चढ़ाने नहीं आते,,


साहिल से देखते हैं तमाशा खड़े होकर,
हम डूबते हैं हमको बचाने नहीं आते,,


यादो में तेरी जागते रहते हैं रात भर,
पहले की तरह सपने सुहाने नहीं आते,,


जिस दिन भी पुकारोगे चले आएंगे हमदम,
औरों की तरह हमको बहाने नहीं आते,,


ना जाने किस कसूर की मुझको मिली सज़ा,
महफ़िल को मेरी अब वो सजाने नहीं आते,,


बैठे है याद बनके मेरे दिल में आज भी,
हमको वो परिन्दे भी उड़ाने नहीं आते,,


अर्पित शर्मा "अर्पित"





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