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बरखा रानी [कविता]- महेन्द्र देवांगन "माटी"

रचनाकार परिचय:-


महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला -- कबीरधाम (छ ग )
पिन - 491559
मो नं -- 8602407353
Email - mahendradewanganmati@gmail.com

बरखा रानी
( सार छंद )

झूम रहे सब पौधे देखो , आई बरखा रानी ।
मौसम लगते बड़े सुहाने , गिरे झमाझम पानी ।।1।।

हरी भरी धरती को देखो , हरियाली है छाई ।
बाग बगीचे दिखते सुंदर, मस्ती सब में आई ।।2।।

कलकल करती नदियाँ बहती , झरने शोर मचाये ।
मोर नाचते वन में देखो , कोयल गाना गाये ।।3।।

बादल गरजे बिजली चमके , घटा घोर है छाई ।
सौंधी सौंधी माटी महके , बूंद पड़े जब भाई ।।4।।

खेत खार में झूम झूम कर , फसलें सब लहराये ।
हैं किसान को खुशी यहाँ पर , "माटी" गीत सुनाये ।।5।।

महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)
पंडरिया ( कवर्धा)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com






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