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हर रोज दीवाली हे [कविता]- राजेश भंडारी "बाबु"

रचनाकार परिचय:-


राजेश भंडारी “बाबु”
१०४ महावीर नगर इंदौर
९००९५०२७३४


हर रोज दीवाली हे



हर दन खुशी की बरसात हे हर बात निराली हे ,
मा बाप का प्यार मिले तो हर रात दिवाली हे |

उनकी आखो में झाकता संतुस्टी का भाव ,
लगता हे सारे गुलशन में फैली हरयाली हे ,

नहीं चाहिते हमसे वो कुछ भी लेकिन ,
परिवार के गुलशन के तो वे ही माली हे

उम्र के इस मोड़ पर उनका प्यार असली हे ,
हमें लगता हे बाकी सारी दुनिया जाली हे

वो खपा हो या खुश कोई नहीं जानता क्योकि
अब तो आशीर्वाद सी लगती उनकी हर गाली हे

ता उम्र रहे हाथ सर पर उनका हमारे
अब भी लगता हे जैसे अभी तो उम्र बाली हे

हे प्यार भी अपनी जगह और परिवार भी ,
पर उनके लिए एक कोना हमेशा खाली हे

राजेश भंडारी "बाबु"
९००९५०२७३४

Rajesh Bhandari "babu"
104 Mahavir Nagar Indore
9009502734




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