वर्ष 2020 बहुत सी जटिलताओं के साथ बीता, हम अब आंग्ल कैलेंडर पर नयी तारीखों के पायदान पर आगे बढ चले हैं। कोरोना महामारी से लडते हुए इस वर्ष हमने उन सामाजिक परिवर्तनों को देखा और महसूस किया जिसने व्यक्ति से व्यक्ति की दूरी को जीवन का हिस्सा बना दिया है। भौतिक दूरी की अवधारणा का मनोवैज्ञानिक प्रभाव है जिसने हमारे सोचने समझने और महसूस करने की ताकत को अपकी जकडन में लिया है। ऐसे समय में साहित्य और साहित्यकार की अपनी भूमिका है, दिशा देना उसका दायित्व है। कोई कविता, कहानी, निबन्ध अथवा रिपोर्ताज कैसे चार दीवारी के भीतर के किसी एकाकीमन का साथी बन जाता है, कैसे उस पाठक की संवेदना में कुलबुलाता है, क्या किसी से छिपा हुआ है? बीते हुए वर्ष की नकारात्मकताओं से आगे बढने का समय है, इसमें रचनात्मकता की महति भूमिका निर्विवाद है। वर्ष 2021 की साहित्यशिल्पी के सभी पाठकों और इस मंच से जुडे रचनाकारों को शुभकामनायें। साहित्यशिल्पी मंच को पुन: आरम्भ करते हुए हम हर्षित हैं तथा अपकी रचनात्मकताओं को पुन: इस मंच पर आमंत्रित करते हैं।
कोरोनाकाल के कई सकारात्मक प्रभाव भी हुए हैं। पहला यह कि तकनीक ने एकाकीपन की भावना को ध्वस्त किया है। न केवल कार्यालय ही ऑनलाईन चलने लगे अपितु इस माध्यम से अध्ययन-अध्यापन हुए,अनेक सेमीनार और कार्यक्रम भी हुए। इसी बात ने हमें पुन: प्रेरित किया कि हम साहित्य शिल्पी को नये सिरे से आरम्भ करते हुए इस ऑनलाईन संवाद की नब्ज को थाम कर विमर्श के उस मार्ग पर पुन: चलने लगें जिसमें अपरिहार्य कारणों से कुछ व्यवधान आ गया था। साहित्यशिल्पी को साप्ताहिक ऑनलाईन अंक के रूप में निकाले जाने की योजना है जिसके तहत समसामयिक विषयों पर विमर्श/ साहित्य की विभिन्न विधाओं अर्थात कहानी/कविता/निबंध/रिपोर्ताज/यात्रावृतांत आदि का प्रस्तुतिकरण तो होगा ही अनुवाद और धरोहर के अंतर्गत उन रचनाकारों के लेखन को भी सामने रखा जायेगा जिन्हें हमने “भूले बिसरे” की श्रेणी में वर्गीकृत कर दिया है। हम ऑनलाईन माध्यम से संवाद/कार्यक्रम भी संचालित करेंगे जिससे लेखक-पाठक और मंच तीनों को एकाकार किया जा सके।
नववर्ष की पुन: सभी को हार्दिक शुभकामनायें।
कोरोनाकाल के कई सकारात्मक प्रभाव भी हुए हैं। पहला यह कि तकनीक ने एकाकीपन की भावना को ध्वस्त किया है। न केवल कार्यालय ही ऑनलाईन चलने लगे अपितु इस माध्यम से अध्ययन-अध्यापन हुए,अनेक सेमीनार और कार्यक्रम भी हुए। इसी बात ने हमें पुन: प्रेरित किया कि हम साहित्य शिल्पी को नये सिरे से आरम्भ करते हुए इस ऑनलाईन संवाद की नब्ज को थाम कर विमर्श के उस मार्ग पर पुन: चलने लगें जिसमें अपरिहार्य कारणों से कुछ व्यवधान आ गया था। साहित्यशिल्पी को साप्ताहिक ऑनलाईन अंक के रूप में निकाले जाने की योजना है जिसके तहत समसामयिक विषयों पर विमर्श/ साहित्य की विभिन्न विधाओं अर्थात कहानी/कविता/निबंध/रिपोर्ताज/यात्रावृतांत आदि का प्रस्तुतिकरण तो होगा ही अनुवाद और धरोहर के अंतर्गत उन रचनाकारों के लेखन को भी सामने रखा जायेगा जिन्हें हमने “भूले बिसरे” की श्रेणी में वर्गीकृत कर दिया है। हम ऑनलाईन माध्यम से संवाद/कार्यक्रम भी संचालित करेंगे जिससे लेखक-पाठक और मंच तीनों को एकाकार किया जा सके।
नववर्ष की पुन: सभी को हार्दिक शुभकामनायें।
सम्पादक (साहित्य शिल्पी)
1 टिप्पणियाँ
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.