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हल्दीघाटी युद्ध के स्पांसर हर्रोमल पकौड़ीवाले [व्यंग्य] - आलोक पुराणिक


एक टीचर की डायरी, सन 2500 का कोई दिन


बहुत आफत है। स्टूडेंट बहुत बदमाश हो लिये है। हरेक ने चार चार क्लोन बना लिये हैं। जबकि युनिवर्सिटी से परमीशन सिर्फ दो क्लोन बनाने की है। वह सन्नी अपना एक क्लोन क्लास में बैठा कर चला गया। क्लोन सो गया।
एक क्लोन कालेज की लाइब्रेरी में छोड़ गया, ताकि प्रोफेसरों पर इंप्रेशन पड़ सके। और ओरिजनल सन्नी तो मल्टीप्लेक्स में सुनीता के साथ फिल्म देख रहा था। अब आफत है ये कि शिकायत किससे करो। जिसे स्टूडेंट का बाप समझकर शिकायत करो, वह बताता है कि जी मैं सन्नी का डैडी नहीं है, उनका क्लोन हूँ। ओरिजिनल डैडी तो गये है दुबई कमाने के लिए। गर्ल्स हास्टल की वार्डन परेशान हैं। लड़कियां अपने क्लोनों को छोड़कर जाती हैं, कमरे में। खुद पता नहीं, कहां चली जाती हैं।


इतिहास का सिलेबस, सन 2500

इतिहास का कोर्स हर साल नया हो जायेगा। मतलब यह कि हर साल कोर्स स्पांसरों के हिसाब से रिवाइज होगा। जैसा कि सबको पता है कि सरकार ने शिक्षा पर किसी भी किस्म का खर्च करने से इनकार कर दिया है। सारी की सारी रकम स्पांसरों से जुटायी जाती है। इसलिए हर साल के इतिहास पर उस साल के स्पांसरों की छाप साफ दिखायी देगी।

2045 में एम ए इतिहास में यह पढ़ाया गया था कि हल्दीघाटी की लड़ाई अकबर और हर्रोमल चंदूराम पकौड़ी वाले के बीच हुई थी। 2050 में यह पढ़ाया जायेगा कि हल्दीघाटी की लड़ाई अकबर और तेजमल मसाले वालों के बीच हुई थी। 2045 में इतिहास के प्रोफेसरों की सेलरी हर्रोमल पकौड़ी वालों ने स्पांसर की थी, 2050 में तेजमल मसाले वाले स्पांसर कर रहे हैं।

आगे टिन्नू टिकिया वालों का, शमशेर दारु के ठेके वालों का, धुन्नू भांग के ठेके वालों का नंबर है। ऐसे ही हम पढ़ाते हैं कि टेलीफोन का आविष्कार रम्मो पान वाले ने किया है और कालिदास ने उसी पेन से मेघदूत महाकाव्य लिखा है, जिस पेन से लिखते लिखते लव हो जाता है। अगली बार हम पेन की जगह कोई कंप्यूटर भी रख सकते हैं, अगर कोई कंप्यूटर वाला स्पांसर फंस गया तो। टेलीफोन के आविष्कारक अगली आंगनमल आटा चक्की वाले भी हो सकते हैं। नोट-बदलते स्पांसरों के दौर में एक ही इतिहास पढ़ने की इच्छा ना करें।

कतिपय बेवकूफ इस बात को अकसर उठाते हैं कि हल्दीघाटी की लड़ाई में महाराणा प्रताप ने हिस्सा लिया था। भईया हमारा कहना है कि महाराणा प्रताप के नाम का स्पांसर हमें मिल जाये, तो हम महाराणा प्रताप का नाम लिख देंगे। बरसों पहले चेतक शादी की घोड़ी वाले हल्दी घाटी में चेतक घोड़े के नाम को स्पांसर करते थे। पर बाद में उनसे ज्यादा पैसे फीरो फोंडा मोटरसाइकिल वालों ने देने शुरु कर दिये, तो हमने हल्दीघाटी में फीरो फोंडा मोटरसाइकिल के रोल को पढ़ाना शुरु कर दिया है।

एक फोन कंपनी ने हमे प्रस्ताव दिया है कि हल्दीघाटी में जो रोल चेतक घोड़े का दिखाया जाता है, वह हमारे कुत्ते का दिखा दो। वह बता रहे हैं कि उनका कुत्ता बहुत हेल्पिंग नेचर का है। इस कंपनी से बात जम गयी, तो हम हल्दी घाटी के इतिहास में चेतक की जगह यह कुत्ता भी डाल सकते हैं। तो विद्यार्थी हल्दीघाटी में हर्रोमल पकौड़ी वाले और हेल्पिंग कुत्ते का रोल समझने को तैयार रहे हैं। साल के बीच में अगर कोई स्पांसर ज्यादा पैसे वाला मिल गया, तो सिलेबस साल के बीच में कई बार रिवाइज हो सकता है।

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21 टिप्पणियाँ

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. पुराणिक जी पूरे आर्टिकल में एक सोच मजेदार लगी कि 2500 में भी छात्र टीचर से डरेंगे... प्यार यूं ही जारी रहेगा... सिनेमा देखने की फुर्सत होगी... और आटा चक्की प्रासंगिक होगी...

    बाकी तो पता नहीं पर प्रपंचतंत्र जरूर पढ़ा सुना और गुना जाएगा...
    सादर
    देवेश वशिष्ठ खबरी
    9811852336

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  3. are bhaiyya .......kisi ki dayri nahin padte....ye to ek teechar ki hai...
    pitaee laga dee to....ha ha ....

    bahut sahee aur sundar vyang...
    aanand aaya....vishesh roop se klon.....ladake aur ladkiyon ke...

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  4. आलोक जी,

    मजेदार स्पाईसी व्यंग्य परोसने के लिये आपका धन्यवाद...

    कलोनिंग वाला फ़ार्मूला निश्चित तौर पर डरावना है..सोचिये जब आप घर पहुंचे तो आपका क्लोन पहले से ही घर पर मौजूद मिले :)

    सन 2500 में पता नहीं टीचर / प्रोफ़ेसर ..स्टूडेंटस को पढायेंगे या इसका उल्टा होगा..
    मेरे ख्याल से रोबोट ही रह जायेंगे..भावना शून्य और थियोरिटीकली परीपूर्ण.. सिर्फ़ लोजिक ही सब कुछ तय करेगा...हमारा खाना, हमारा सोना,,,यहां तक कि प्यार और रिश्ते दारी भी रिमोट से ही चलेगी :)

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  5. हास्य व्यंग्य का सुंदर दर्शन कराती रचना.

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  6. आलोक जी,


    व्यंग्य की धार सूई से भी पैनी और तलवार से भी घातक होती है, यह तथ्य आपकी इस रचना से सिद्ध होता है। बहुत सी बातो का घालमेल किया है आपने। मनीपावर को जहाँ एक दृष्टिकोण दिया है तो इतिहास में होती छेडछाड पर भी चुटकी ली है। शिक्षा व्यवस्था पर भी आपने तिरछी नजरों से देख ही लिया है..

    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  7. कहीं ये रचना भी तो आपके क्लोन की नहीं ? :)

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  8. माना गये गुरू....बहुत धांसू लिक्‍खा है

    एकाध क्‍लोन हमारा भी बनवा दीजिएगा :)

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  9. alok ji 2500 main agar makka madine ki ladai ka vyang hota ab tak fatva aa chuka hota .maharana pratap aur haldighati ko mazak main mat ghasito please

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  10. व्यंग्य बहुत तगडा है. आपकी सोच बहुत जागरूक है

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  11. मुस्कुराये बिना नहीं रहा जा सकता इसे पढ कर। आपकी अपनी ही शैली है।

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  12. सटीक प्रस्तुतिकरन है इस रचना में, आपको बधाई।

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  13. क्या खुबसुरत व्यंग्य है...
    बहुत बहुत बधाई

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  14. आपकी अपनी ही अनूठी शैली है जो सिर्फ़ हँसाती ही नहीं, सोचने को भी मजबूर करती है। साधुवाद।

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  15. हास्य और व्यंग्य का बढ़िया संगम....मज़ा आया!

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  16. आलोक जी,
    सटीक व्यंग्य हास्य के लच्छे में लिपटा हुआ..

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  17. बहुत खूब आलोक जी आपकी कलम की धार बहुत पैनी है ! मज़ा आ गया पढ़कर...
    बहुत धन्यवाद स्तरीय साहित्य के लिए ...

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  18. aapne bahut door ki sochi hai sir. future main teachers ko aise hi pareshan kiya jayega shayad
    meenakshi

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  19. aap ko sharam aani chahiye is tereh ke gatia vyang karte hue, jo maharana pratap hamari matrabhumi par balidan ho gaye, jis chetak ke kisse sun kar hum bade hue hain un par aisi ghatia tippani aap ki soch ke standard ko darshati hai,aap vikrit mansikta ke shikar hain, kisi ache doctor ko dikhaiye. Kuch bhi likh dene se koi vyangkar nahi ho jata, uske liye chintan ki zaroorat hoti hai na ki ghatia tippanion ki. Ummed hai aap ek mahan rajput warrior ke bare main dobara kuch bhi galat likhne se pahle do baar sochange.

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