समारोह की मुख्य अथिति : श्री नामवर सिंह - हिंदी के प्रमुख समकालीन आलोचक हैं, श्रीमति कृष्णा सोबती - साहित्य आकादमी की महत्तर सदस्य होने के साथ-साथ कई राष्ट्रीय पुरुस्कारों से अलंकृत हैं, श्री राजेंद्र यादव जो की कथाकार, उपन्यासकार व हिंदी पत्रिका "हंस" के संपादक हैं व श्री अजित राय - पत्रकार और विभिन्न पत्रिकाओं में कॉलमनिस्ट हैं.
मंच का संचालन श्री अजित राय ने किया. समारोह का आरम्भ अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंट करने के साथ हुआ. श्री अनिल मिश्र ने श्री नामवर सिंह, श्री अजय नावरिया ने श्रीमति कृष्णा सोबती जी, श्री हरी भटनागर ने श्री राजेंद्र यादव जी व श्रीमति नूर जहीर ने श्री तेजेंद्र शर्मा को पुष्प गुच्छ भेंट किये.
अभिनन्दन वक्तव्य श्री अनिल मिश्र जी ने दिया. उन्होंने "रचना समय" और "राजेंद्र प्रसाद अकादमी" की तरफ से सभी का स्वागत किया व राजेंद्र प्रसाद अकादमी की प्रतिबधता का जिक्र किया जो की साहित्य प्रेमियों के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवा रही है. उन्होंने श्री विमल प्रसाद जी, निदेशक व सचिव राजेंद्र भवन की और से भी शुभकामना सन्देश दिया व तेजेंद्र शर्मा जी को बधाई दी.
इसके बाद श्री अजित राय ने श्री हरी भटनागर जो की रचना समय के संपादक व मध्य प्रदेश की पत्रिका "साक्षात्कार" के सम्पादक भी हैं को सम्पादकीय वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया. श्री हरी भटनागर जी ने बताया की किस तरह से "वक्त के आईने में" पुस्तक प्रकाशन तक पहुंची. उन्होंने एक घटना का जिक्र किया जब उन्होंने तेजेंद्र शर्मा जी की कहानी "कब्र का मुनाफा" को इंडिया टुडे में बीस सब से अच्छी कहानियो में रखा तब उन्हें कई प्रतिक्रियाएं मिली जो की शायद कहानी को बिना पढ़े ही दे दी गयी थी. जब प्रतिक्रिया देने वाले सज्जन से पुछा गया की क्या उन्होंने कहानी पढ़ी है तो उत्तर "ना" में मिला. साहित्य जगत में इस तरह के नाम भेद की घटनाओं पर आश्चर्य होता है. उन्होंने कहा की तेजेंद्र जी की कहानियाँ दो सभ्यताओं के संगम की कहानियां है व जीवन के सत्य से खुराक लेती हैं. उन्होंने कहा कि वह इस धारणा का खंडन करते हैं कि तेजेंद्र जी के लेखन पर हिंदुत्व का प्रभाव है और वह मार्क्सवाद के पीछे डंडा ले कर फिरते हैं. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक अभिनन्दन ग्रन्थ नहीं है.
अजित राय जी ने सभागार में उपस्थित कुछ विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया जिनमें मिस मारिया जो कि हंगरी की हिंदी विद्वान हैं, श्री सूरज प्रकाश व उनकी पत्नी मधु अरोरा, श्रीमति विज्या शर्मा.
उन्होंने कहा कि दो वर्ष पूर्व तक वो तेजेंद्र जी को कहानी कार नहीं मानते थे. उनके प्रवास के दौरान तेजेंद्र जी ने उन्हें जो कहानियां दी वो उन्होंने रद्दी कि टोकरी में फेंक दी थी क्योंकि उनकी धारणा थी कि विदेश में बसे हुए लेखक और कुछ नहीं हिन्दुत्व को मानने वाले बी जे पी के अनुयायी मात्र हैं. बाद में जब उन्होंने वही कहानियां पढ़ी तो उन्हें लगा कि वह गलत थे . श्री तेजेंद्र के लेखन में हिन्दुत्व वाली कोइ बात नहीं है और उनकी कहानियों के पात्र आम आदमी के जीवन के बहुत करीव हैं.
इसके उपरांत उन्होंने श्री अजय नावरिया जो कि जामिया मिलिया दिल्ली में हिंदी अध्यापन में कार्यरत हैं को बीज वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया. अजय नावरिया जी ने कहा कि यह अभिनन्दन ग्रन्थ क्यों नहीं है. शब्द कोष के अनुसार प्रदत सेवाओ के उपलक्ष में सार्वजनिक रूप से दिया जाने वाला ग्रन्थ अभिनन्दन ग्रन्थ होता है तब यह क्यों नहीं है. उन्होंने कहा कि हरी भटनागर जी शायद इसको अभिनन्दन ग्रन्थ इस लिए नहीं मानते क्यों कि वह विनम्र हैं और इस पुस्तक में चाटुकारिता का कोइ स्थान नहीं है. तेजेंद्र जी कि कहानियो में देश विदेश के उन अंचलों का प्रतिबिंब है जिन्हें आम पाठक सोच भी नहीं पाता.
इसके उपरांत श्रीमती नूर जहीर को पुस्तक के खंड ५ में छपे "अमेरिका से एक ख़त" को पढ़ने के लिए आमंत्रित किया गया. नूर जी ने कहा कि पहले उन्होंने सोचा कि उन्हें ही क्यों चुना गया परन्तु उस ख़त को पढ़ने के बाद उन्होंने कहा कि यदि वो इसको न पढती तो शायद उन्हें इस का अफ़सोस रह जाता. उन्होंने तेजेंद्र जी को बधाई देते हुए कहा कि वह इसी तरह कहानियां लिखते रहे.
श्री तेजेंद्र जी कि भांजी नुपुर से अनुरोध किया गया कि वह विशिष्ट मंचासीन अतिथियों द्वारा लोकार्पण के लिये पुस्तक ले कर मंच पर आयें.
पुस्तक के लोकार्पण के उपरान्त नामवर सिंह जी ने माईक संभाला और सभी का स्वागत करते हुए कहा कि वह सब के साथ तेजेंद्र जी का अभिनन्दन करते हैं और हरी भटनागर जी को बधाई देते हैं कि उन्होंने एक बहुत अच्छे ग्रन्थ का संपादन किया..उन्होंने कहा कि वैसे तो ग्रन्थ कभी संपादित नहीं होते यह अपने आप में एक मिसाल है. मैं सोच रहा हूँ कि किस को बधाई दूं.. हीरो को या जिसने हीरो को बनाया.. हास्य के मध्य उन्होंने यह लाइन पढ़ी "शिवा को सराहूं या सराहूं छत्रसाल को". उन्होंने तेजेंद्र जी को इन्दू सम्मान की स्थापना के लिए बधाई दी और कहा कि वह (तेजेन्द्र जी) तो हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स का जलवा भी देख चुके हैं और यह तो हाउस ओफ कोमन है. उन्होंने कहा कि साहित्यकार का फर्ज है कि वह सत्य को उजागर करे और यह तेजेंद्र जी बहुत बखूबी कर रहे हैं. उन्होंने अजित राय जी पर चुटकी लेते हुए कहा कि उन्होंने बहुत तरक्की कि है व उन्हें लगता है कि जल्द ही कहीं वह लन्दन में ही न नजर आने लगें. इस समारोह को विस्मिल्लाह मानते हुये उन्होने जल्द ही फिर से मिलने कि कामना प्रकट की. चूंकि उन्हें किसी और समारोह में जाना था सो उन्होंने विदा ली.
अब बारी थी तेजेंद्र शर्मा जी कि उन्होंने मंच और सभी का स्वागत करते हुए कहा कि यह दिन उनके लिए बहुत ख़ास है क्यों कि जिन्होंने उन्हें साहित्य से परिचित करवाया वह प्रोफ़ेसर यहाँ उपस्थित हें. उन्हें चरण वंदना कहते हुए उन्होंने कहा कि प्रोफ़ेसर सोमनाथ जी. प्रोफ़ेसर प्रताप सहगल जिन्होंने उन्हें हिन्दी पढ़ाई के इस समारोह में शामिल होने के लिये बहुत आभारी हैं. उन्होंने अपनी हिंदी से रुचि को अपनी पत्नी इन्दू शर्मा जी की पी एच डी से जोडा.
उन्होंने कहा कि आज दुनिया उनकी कहानिया पढ़ रही है और आलोचक भी उसे देख रहे हैं यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है. उन्होंने अजित राय जी और हरी भटनागर जी को पुस्तक के प्रकाशन के लिये धन्यवाद दिया व किताब पर मेहनत करने के लिए उन्होंने मधु अरोरा जी का आभार प्रकट किया.
अब बारी थी श्री राजेन्द्र यादव जी की. उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुये कहा कि उन्हें एक पुरानी घटना याद आ रही है. यह घटना किशोर साहू (अभिनेता) से सम्बन्धित है. उनके पिता श्री राजेन्द्र यादव जी के काफ़ी करीव थे और अक्सर उन्हे पत्र लिखा करते थे. किशोर साहू एक कथाकार भी थे यह बहुत कम लोग जानते हैं. उनकी तरफ़ से आत्मकथा छापने का प्रस्ताव आया परन्तु जैसे ही यादव जी ने इसको स्वीकार किया वह उसमें कुछ चित्र और अन्य सामाग्री भी प्रेकाशित करवाना चाहते थे जिसे यादव जी ने अस्वीकार कर दिया और अब उन्हें लगता है कि उनका यह निर्णय उचित नहीं था. यादव जी ने कहा कि यदि आज वह किताव उन्हें मिल जाये तो वह उसे छाप देगे. यादव जी ने कहा उनके मन में एक अवधारणा है कि विदेश में रहने वाले लोग हिन्दुत्व से ग्रसित होते हैं क्योंकि यह उनके जीवन का प्रश्न हो सकता है व उनकी रचनाये बडी बचकानी होती हैं. उन्होने भारत में आतंकवाद को बाबरी मस्जिद के गिरने से जोडा. उन्होंने निर्मल जी के लेखन का जिक्र किया और कहा कि उनकी कहानियों के पात्र आत्मलीन होते है और अपने आप से ही बातचीत करते हैं परन्तु तेजेन्द्र जी की कहानियों के पात्र आम आदमी से जुडे है और तेजेन्द्र जी जानते हैं कि किस तरह से किसी घटना या चरित्र से एक सफ़ल कहानी बनाई जा सकती है. उन्होंने तेजेन्द्र जी को शुभकामनायें दी.
अन्त में श्रीमति कृष्णा सोबती जी ने कहा कि जो लोग विदेश में है निश्चित रूप से अपने देश से इसलिये अधिक जुडे रहते हैं क्योंकि यह उनकी सुरक्षा का प्रश्न है. उन्होंने तेजेन्द्र शर्मा जी की कहानियों में से कुछ अंश पढ कर उनकी गहराई पर अपने विचार दिये और सुझाया कि किस तरह तेजेन्द्र जी एक आम घटना को एक सबल कहानी में परिवर्तित कर देते हैं.
श्री अजित राय ने सभी उपस्थित मेहमानों का आभार प्रकट करते हुये कहा कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिये इसमें विभिन्न ध्वनियों का संयोजन होना आवशयक है ताकि हर कोई इसे खुद से समबन्धित महसूस कर सके. उन्होनें व्यस्तता को आधुनिक समय में एक दूसरे से अलगाव का जिम्मेदार माना और कहा कि यहां दूर दूर से आये लोग इस बात का सबूत हैं कि तेजेन्द्र जी को चाहने वालों की कमी नहीं है.
और यह हैं कुछ चित्र जो इस समारोह के दौरान लिये गये हैं
श्री नामवर सिहं
श्री तेजेन्द्र शर्मा
मंचाआसीन मुख्य अतिथि
श्रीमति कृष्णा सोबती व वक्तव्य देते श्री राजेन्द्र यादव
सभागार में उपस्थित मेहमान
पुस्तक विमोचन करते मंचासीन अतिथि
अपनी पुस्तक के साथ श्री तेजेन्द्र शर्मा
मंच पर एक सामूहिक चित्र
13 टिप्पणियाँ
आभार इस रिपोर्ट एवं तस्वीरों का. शार्मा जी को बधाई एवं शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंचित्रों के माध्यम विमोचन की
जवाब देंहटाएंअच्छी रपट प्रस्तुत की है।
आदरणीय शर्मा जी को बधाई
एवं शुभकामनायें.
शर्मा जी को बहुत बहुत बधाई व मोहिन्दर जी धन्यवाद समाचार के लिए।
जवाब देंहटाएंThanks for the detailed report Mohinderji and congratulations to Shri Tejendra Sharma for Publication of his Book.
जवाब देंहटाएंAlok Katariya
aadarnioya mohinder ji ko badhai is coverage ke liye .. bahut acchi reporting hai ...
जवाब देंहटाएंtejendar ji bahut accha likhte hai .. he is a great writer. maine "kabr ka kafan " padha hai , aur bahut hi prabhvit hoon unki rachna shaili se .. shabdo ka khazana hai unke paas..
main dil se unhe badhai deta hoon
aur sahitya shilpi ke is report par poori team ko badhai deta hoon..
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
साहित्यिक गतिविधियों पर एक सार्थक रिपोर्ताज।
जवाब देंहटाएंमोहिन्दर शर्मा जी ने काफ़ी मेहनत की है।बधाई।-
सुशील कुमार
तेजेन्द्र शर्मा एसे लेखक है जिनपर विस्तार से चर्चा होनी चाहिये। मैने उनकी कहानियाँ साहित्य शिल्पी पर ही पढी हैं और यह पाया कि वे अध्भुत लेखक हैं। साईट पर यह भी बतायें कि पुस्तक कहाँ से प्राप्त की जा सकती है।
जवाब देंहटाएंबढिया...विस्तृत रिपोर्ट के लिए मोहिन्दर जी का बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहिंदी कथा जगत के सशक्त लेखक तेजेन्द्र शर्मा जी की पुस्तक ' वक्त के आईने में ' के लोकापर्ण की रिपोर्ट पढ़ी. विस्तृत जानकारी देने के लिए मोहिन्दर जी का बहुत -बहुत धन्यवाद! जानकारी इतने उत्तम तरीके से दी गई है, पाठक को महसूस होता है कि वह उसका हिस्सा है और चल चित्र की तरह सारा कार्यक्रम उसके सामने से गुज़र जाता है. मोहिन्दर जी बधाई.
जवाब देंहटाएंपता नहीं हिन्दुत्व शब्द का उपयोग सहित्यिक खेमों में बंटी बिरादरी में किसी भी रचनाकार के लिये नकारात्मक अर्थों में क्यों हो गया है. क्या रचानाओं और रचनाकार का मापदण्ड वह हिंदुत्व विषय से कितना परे अथवा विरोध में है इसी से होता है.
जवाब देंहटाएंदुर्भाग्य है की बात है कि हिन्दुत्व शब्द का प्रयोग अब कई राजनीतिक खेमों और बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा एक गाली के रूप में ही किया जाने लगा है.
संभवत: यह स्वयं को पो्षित और पल्लवित करने वाली संस्कृति और सभ्यता के प्रति कृतघ्नता की पराकाष्ठा है. यह प्रवृत्ति नि:संदेह खेद्जनक है.
अस्तु साहित्य शिल्पी पर एक उत्कृष्ठ और सामयिक रिपोर्ट के लिये बन्धु मोहिन्दर जी का हार्दिक आभार
तेजेन्द्र जी के पुस्तक विमोचन पर विस्तृत रिपोर्ट के लिये मोहिन्दर जी का धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंतेजेन्द्र शर्मा बहुत अच्छे कहानीकार हैं। अच्छी रिपोर्ट। बधाई।
जवाब देंहटाएंइस रिपोर्ट का आभार....
जवाब देंहटाएंशर्मा जी को...
बधाई एवं शुभकामनाऐं....
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.