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हालात बदल सकते हैं [सप्ताह का कार्टून] - अभिषेक तिवारी



रचनाकार परिचय:-

अभिषेक तिवारी "कार्टूनिष्ट" ने चम्बल के एक स्वाभिमानी इलाके भिंड (मध्य प्रदेश्) में जन्म पाया। पिछले २३ सालों से कार्टूनिंग कर रहे हैं। ग्वालियर, इंदौर, लखनऊ के बाद पिछले एक दशक से जयपुर में राजस्थान पत्रिका से जुड़ कर आम आदमी के दुःख-दर्द को समझने की और उस पीड़ा को कार्टूनों के माध्यम से साँझा करने की कोशिश जारी है.....

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6 टिप्पणियाँ

  1. चुनाव का यक लाभ यह भी है। देश के गरीबों की तरक्की के लिये चुनाव हर साल होने ही चाहिये और उपचुनाव हर छ:ह महीने में।

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  2. बिलकुल हालात बदल सकते हैं। सही सुझाव है।

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  3. जी बहती गंगा में हाथ धोने को मिल जायें तो फ़िर कौन पीछे रहता है... सटीक व्यंग्य

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  4. फिलहाल तो हालात सुधरे हुए हैं। काली रात नजदीक है।

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