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क्षीरसागर उर्फ फन पार्क [व्यंग्य] - आलोक पुराणिक

विष्णुजी का शेषनाग जब्त हो लिया था।

जीव जंतु क्रूरता विरोधी अभियान के तहत शेषनाग जब्त किया जा चुका था। नागों के लिए विख्यात परम टापम टाप चैनल ने कई दिनों से अभियान चलाया था। नाग की आग, नागों पर अत्यातार, नाग देवता, नाग का बदला नामक कार्यक्रम बहुत जोरदारी से चलाये गये थे। और चालू चैनल के नाग संपादक ने तो एक दिन अपनी न्यूज में जंतर मंतर में नागों का जुलूस तक दिखा दिया था। इसके बाद शेषनाग जब्त कर लिया गया था।

क्षीरसागर में डूबते उतराते विष्णुजी को सूचना मिली की क्षीऱसागर खाली करें। इसे फन पार्क बनाया जा रहा है।
कैसे-विष्णुजी ने पूछा।

जी दरअसल मंदी में सरकारें कंगाल हो गयी हैं। सो वे नदियां, समुद्र सब बेच रही हैं। समुद्र का डिसइनवेस्टमेंट हो लिया है। आप निकल लें।


पर यह तो हमारा परमानेंट ठिकाना है।

जी परमानेंट तो अब कुछ ना बचा।

नहीं, दया, धर्म, पुण्य ये मूल्य तो परमानेंट हैं-विष्णुजी ने कहा।

जी नहीं परमानेंट इस सृष्टि में सिर्फ सास भी कभी बहू थी-सीरियल है। इसके अलावा हम किसी को परमानेंट नहीं मानते, वह तक परमानेंट ना रहा। वह तक खत्म होने वाला है, अब बताइये किसे परमानेंट माना जाये-उन्हे बताया गया।

पर मेरे अपार भक्तजन मुंबई में निवास करते हैं। पूरे देश में निवास करते हैं। उन्हे शेयर निवेशकों के नाम से जाना जाता है।

जी वे अब मूंगफली बेचने वालों के एसिस्टेंट हो लिये हैं। वे मूंगफली पैक करने के लिए शेयर सर्टिफिकेटों का यूज कर रहे हैं।

लक्ष्मीजी कहां है।

जी वह बहुत दिनों से गायब हैं। अमेरिका में सारे बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो लिया है। सुना है, अब तक लक्ष्मीजी वहीं विराजमान थी। किसी भी दिन खबर आ सकती है कि लक्ष्मीजी का अमेरिका ने राष्ट्रीयकरण दिया।

लेटेस्ट खबर यह है कि विष्णुजी लक्ष्मीजी को ढूंढ़ रहे हैं।

कहीं दिखायी पड़ें, तो बताइयेगा। कई शेयर वाले, बुश, रीयल इस्टेट वाले, साफ्टवेयर वाले उन्हे ढूंढ़ रहे हैं।

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9 टिप्पणियाँ

  1. सही कह रहे हैं, कंगाल सरकार नदियां और समुद्र ही बेचेगी। बाकी की सब संपदा और जमीन पहले ही बिक चुकी है।

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  2. ढ़ूँढ़ तो हम भी रहे हैं-मस्त व्यंग्य.

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  3. sach kha hai .aadmi kha tak soch skta hai ?sarkar bhi aadmiyo se hi bni hai acha ktaksh .

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  4. अति सुन्दर बहुत अच्छा लिखा है मैं इसको सिर्फ व्यंग नही कह सकता गहरा चिंतन है सरकार और व्यवस्था पर लेकिन एक प्रार्थना है कि कभी देवी देवताओं पर या भगवान पर व्यंग ना करें
    मैं आपसे बहुत छोटा हुं गलती हो तो माफ करना
    आप कृपा करके एक बार मेरा भी ब्लोग भी पढकर देखें
    http://jatshiva.blogspot.com/

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  5. बहुत अच्छा लिखा है मैं इसको सिर्फ व्यंग नही कह सकता गहरा चिंतन है सरकार और व्यवस्था पर लेकिन एक प्रार्थना है कि कभी देवी देवताओं पर या भगवान पर व्यंग ना करें
    गलती हो तो माफ करना
    आप कृपा करके एक बार मेरा भी ब्लोग भी पढकर देखें
    http://jatshiva.blogspot.com/

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  6. चिन्तन और तीखी नजर की प्रतिक्रिया स्वरूप इस स्टीक व्यंग्य ने जन्म लिया है.

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