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उस तितली से बन जाओ [बाल कविता] - रचना सागर


कोमल कोमल पंखो वाली
नभ को देखो छूने वाली
रंगीनी बरसाने वाली
प्यारी तितली आई है
एक संदेशा लाई है

हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाई
आपस मे है भाई- भाई
सब संग मिलकर रहा करो
प्यार सभी से किया करो
सदाचार अपनाओ तुम
भूलों को राह दिखाओ तुम

हो भविष्य कल का तुम
सच्चाई को अपनाओ
जैसे रंग- बिरंगे पंख
उस तितली से बन जाओ॥

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16 टिप्पणियाँ

  1. तितली नें हमेशा ही बच्चों को आकर्षित किया है, इस कडी में यह रचना भी बच्चे अवश्य पसंद करेंगे। रचना जी बधाई स्वीकारें।

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  2. कविता की कविता और संदेश का संदेश।

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  3. रचना जी,

    बच्चों के लिये लिखना असाधारण काम है। आपने अच्छे और सहज शब्दों का चयन किया है किसने संदेशप्रद होने के बाद भी रोचकता बनी हुई है।

    हो भविष्य कल का तुम
    सच्चाई को अपनाओ
    जैसे रंग- बिरंगे पंख
    उस तितली से बन जाओ॥

    बहुत खूब!!

    ***राजीव रंजन प्रसाद

    जवाब देंहटाएं
  4. रचना जी,
    बहुत प्यारी बाल कविता है. बचों की कल्पना आप खूब पहचानती हैं. सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  5. तितली पर यूँ तो बहुत सारी कविताएँ लिखी गयी हैं, पर उनमें से कुछ ही सार्थक हैं। आपकी कविता में एक नया तेवर है, एक नयी सोच है। ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगीं-

    हो भविष्य कल का तुम
    सच्चाई को अपनाओ
    जैसे रंग- बिरंगे पंख
    उस तितली से बन जाओ॥

    बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. बच्चों के लियें सोचना भर सुन्दरता दे जाता है
    उस पर ये तो उनके लियें लिखी गयी रचना है.......बहुत सुंदर....


    स-स्नेह
    गीता पंडित

    जवाब देंहटाएं
  7. रचना के सागर में से
    बाल कविता तलाश कर
    तितली बनाकर बच्‍चों के
    माफिक चंचल मन मोहा

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर तितली, सुंदर कविता
    जिसमें सुंदर शिक्षा है
    रचना की अगली रचना की
    बच्चों को भी प्रतीक्षा है...

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छी बाल-रचना है रचना जी!

    बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  10. तितली के माध्यम से सुन्दर संदेश। बहुत ही सुन्दर कविता।

    जवाब देंहटाएं

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