
यादों का मानव-जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वास्तविक घटना के वर्षों बाद भी उसकी याद अपना असर दिखाती रहती है। जीवन-पथ में मानव बार-बार यादों की इस एकांत कोठरी में लौटता रहता है; फिर चाहे ये यादें सुखद हों या पीड़ादायक। और अगर ये याद किसी ऐसे व्यक्ति से जुड़ी हो जिसे कभी मन ने अपना सर्वस्व माना हो तब तो बात ही क्या है!
ऐसी ही एक अनुभूति को शब्द देता है, स्वरशिल्पी द्वारा प्रस्तुत कवि महेंद्र भटनागर का ये गीत; जिसे आवाज़ दी है, उन्हीं के सुपुत्र आदित्य विक्रम ने। तो आइये सुनते हैं सुधियों के सागर में डूबता-उतराता ये गीत:
11 टिप्पणियाँ
bahut badiya ,
जवाब देंहटाएंkudos to sahitya shilpi team and also to mahendra .
maza aa gaya yaar. rythem ek dum sahi hai , thoda sa tempo fast hai ,jo ki geet ke emotions ke saath nahi hai , par these are small issue , the overall presentation is wonderful. I heard first time such kind of experiment. vvery good, ab to mujhe bhi lag raha hia ki main apne geeton ko awaaj doon.
meri shubkamnaye sahityashilpi team ke saath , bahut kuch naya hai is manch par. aur main chahta hoon ko aur bhi kuch naya ho..
regards
vijay
मखमली आवाज है, कविता अच्छी है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द सुर लय और ताल... बधाई
जवाब देंहटाएंतलत अजीज जैसी आवाज है कविता की जितनी प्रशंसा की जाये कम है। बहुत अच्छी प्रस्तुति है। साहित्य शिल्पी को बधाई।
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र जी अच्छा गीत है जिसे उतनी ही अच्छी आवाज मिली है। बधाई।
जवाब देंहटाएंFather and son..nice jodi..perfect combination of poetry and voice
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
मनोहारी गीत। अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंइस गीत को सुनना बहुत अच्छा अनुभव रहा। "आज तुम्हारी आई याद.." बहुत कोमलता से गाया गया है कि उसकी मिठास कानों में रह गयी।
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र जी का गीत बहुत अच्छा लगा और आदित्य जी की आवाज़ ने उसको और मधुर बना दिया। दोनो को बहुत-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र भटनागर जी जैसे वरिष्ठ कवियों की रचनायें वैसे भी अनुभवों का खजाना होती हैं उस पर उन्हे सुनना एक अलग ही अनुभव है। पिता-पुत्र युगल नें साहित्य शिल्पी पर इस प्रस्तुति द्वारा समाँ बाँध दिया है। रेशमी आवाज और बेहतरीन कविता...और क्या चाहिये..
जवाब देंहटाएं***राजीव रंजन प्रसाद
बहुत अच्छी प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी को
बधाई।
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