
आज पेश है स्वरशिल्पी द्वारा प्रस्तुत कवि महेंद्र भटनागर का गीत "गीत में तुमने सजाया रूप मेरा..." जिसे आवाज़ दी है, उन्हीं के सुपुत्र आदित्य विक्रम ने।

गीत के बोल हैं:
गीत में तुमने सजाया रूप मेरा
मैं तुम्हें अनुराग से उर में सजाऊँ !
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रंग कोमल भावनाओं का भरा
है लहरती देखकर धानी धरा
नेह दो इतना नहीं, सँभलो ज़रा
गीत में तुमने बसाया है मुझे जब
मैं सदा को ध्यान में तुमको बसाऊँ !
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बेसहारे प्राण को निज बाँह दी
तप्त तन को वारिदों-सी छाँह दी
और जीने की नयी भर चाह दी
गीत में तुमने जतायी प्रीत अपनी
मैं तुम्हें अपना हृदय गा-गा बताऊँ
तो आइये सुनते हैं प्रेमास्पद से पूर्णरूपेण एकाकार होने की भावना से परिपूरित ये गीत:
GEET MEN TUMNE...m... |
17 टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर गीत! बधाई
जवाब देंहटाएंआवाज़ भी बहुत मधुर लगी। एक बार फ़िर बधाई...
जवाब देंहटाएंआवाज मखमली और सुस्पष्ट है। गीत गहरा है।
जवाब देंहटाएंNice song well sung...
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
अच्छी गीती-कविता।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दों, स्वर, लय और ताल का मिश्रण ..बधाई
जवाब देंहटाएंbahut sundar ,
जवाब देंहटाएंacchi prastuthi .
badhai aapko aur sahitya shilpi ko
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
मधुरता से गाया गया प्रभावी गीत है। बहुत अच्छी प्रस्तुति के लिये महेन्द्र जी व आदित्य जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंगीत में तुमने सजाया रूप मेरा
जवाब देंहटाएंमैं तुम्हें अनुराग से उर में सजाऊँ !
कर्णप्रिय। दिन बना दिया आपनें।
वाह!! पूरा गीत मन में बस गया। पिता-पुत्र की इस जोडी को धन्यवाद इस मनोहारी गीत को सुनवाने के लिये। साहित्य शिल्पी को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा गीत और उतनी ही अच्छी आवाज, वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंवाह!! वाह!! वाह!! वाह!! बहुत सुन्दर गीत! बधाई
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंजितना अच्छा गीत उतना ही सुंदर संगीत एवं मधुर आवाज!!
आदरणीय महेन्द्र भट्नागर की कविता निस्संदेह अनुपम है। आदित्य जी नें अपना स्वर दे कर सोने पर सुहागा कर दिया है।
जवाब देंहटाएं***राजीव रंजन प्रसाद
सुन्दर गीत.....
जवाब देंहटाएंमधुर आवाज़....
बधाई...
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