
रिमोट इंसानी आविष्कारों में से बहुत खास आविष्कार है और हमें इसके लिए किसी आलसी को धन्यवाद देना चाहिए। कहना अनावश्यक है कि किसी आलसी को बार-बार उठकर टीवी के चैनल बदलने में आलस आता होगा। सो उसने रिमोट के आविष्कार की सोची होगी। आवश्यकता आविष्कार जननी है, यह बात हमेशा सही नहीं होती।
आलस्य भी कई आविष्कारों का पापा है।
रिमोट इसका एक उदाहरण हैं।
वैसे अपने मामले में मामला रिमोटाधिकारस्ते मा टीवी कदाचना का है।

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं तथा अंतर्जाल के साथ-साथ पिछले कई वर्षों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से स्तंभ लिख रहे हैं।
बोले तो कभी-कभार रिमोट अपने हाथ मे आ जाता है, टीवी पर तो बच्चों का ही अधिकार है।
वैसे रिमोट का वैवाहिक जीवन में बहुत महत्व है। पति-पत्नी के झगड़ों में रिमोट के महती योगदान होता है। पति कातिल खंजर या खूनी चुड़ैल जैसे कार्यक्रम को देखना चाहता है, जबकि पत्नी का कहना होता है कि अगर बोर ही होना है, तो इस काम के लिए किसी ऐसे सीरियल को तरजीह दी जाये, जिसमें तीसरी गर्लफ्रेड को चौथा अफेयर करते हुआ दिखाया जाये।
वैसे जब रिमोट नहीं था, तब पति-पत्नी दोनों कृषि दर्शन देखकर लगातार लंबे समय तक बोर होते थे।
पर रिमोट यह मौका देता है कि बंदा एक मिनट में साठ चैनल बदल कर बहुत स्पीडवान तरीके से बोर हो सकता है।
नयी चाल की शादियों में जो तमाम बातें पहले ही तय हो जाती हैं, रिमोटाधिकार उनमें से एक है। रिमोटाधिकार के मसले वैवाहिक शांति के लिए बहुत जरुरी हैं, सो इन पर पहले ही फैसला हो जाना चाहिए। बल्कि रिमोटाधिकार तो मानवाधिकारों के हिस्सा माना जाना चाहिए। किसको कितनी देर तक रिमोटबाजी करने का हक है,यह स्पष्ट होना चाहिए।
बल्कि इसमें तो यूं होना चाहिए पत्नी-पति के अधिकारों को स्पष्ट कर देने से रिमोट के मामले में बच्चों के हाथों उनके शोषण को रोका जा सकेगा। अभी का सीन तो यह है कि बच्चे इस कदर रिमोटबाजी करते हैं, बड़ों का नंबर तो बमुश्किल आ पाता है।
पेरेंट्स के रिमोटाधिकार भी बच्चों जितने होने चाहिए, मानवाधिकारों के तहत इस बात को स्पष्ट कर दिया जाना चाहिए। स्त्री अधिकार, पुरुष अधिकार औऱ बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाले एनजीओ इस मामले में राजनीतिक दलों से सौदेबाजी कर सकते हैं।
जैसे एनजीओ कुछ नारे इस तरह से गढ़ पायेंगे, उसे ही मिलेगा हमारा वोट, जो हमको दिलवायेगा रिमोट, वोट हमारा किसको, रिमोट जो दिलवाये उसको।
वैसे रिमोट पालिटिकल पार्टियों का चिन्ह भी हो सकता है।किस पार्टी का हो सकता है, आप जानते हैं, मुझसे क्यों पूछ रहे हैं।
5 टिप्पणियाँ
बिगड़े जहाँ रिमोट तो टी० वी० होगा बन्द।
जवाब देंहटाएंतब पत्नी की बात का लेते हैं आनन्द।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
व्यंग्य तो अच्छा है ही, शीर्षक मजेदार है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया...सटीक व्यंग्य
जवाब देंहटाएं..........वैसे रिमोट पालिटिकल पार्टियों का चिन्ह भी हो सकता है।किस पार्टी का हो सकता है, आप जानते हैं, मुझसे क्यों पूछ रहे हैं......
जवाब देंहटाएं...... अब आलसी सिर खुजाने की भी जहमत क्यों उठायें आलोक जी ! सो आपसे पूछ कर आपको ही उपकृत कर रिमोटली जान्ने का प्रयास है..... जब सरकार रिमोटली पूरे पांच वर्ष चल सकती है तो निःसंदेह इस चुनाव चिन्ह पर उन्हीं का अधिकार न्याय संगत होगा.
अस्तु यह रिमोटार्जुन संवाद भी खूब रहा.. अब तीर निशाने पर भी लगे तब जाने... :)
बढिया रेमोट महिमा पुराण
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.