होली पर शैलेन्द्र जोशी के कार्टून
होली के पर्व की यह विशेषता है कि यह हर व्यक्ति को अपने में समेट लेता है और उसे कुछ समय के लिये दुनिया के हर ग़म और चिंता से दूर एक आनंद-लोक में खींच ले जाता है| होली के इसी आकर्षण का परिणाम है कि इस बार स्वर शिल्पी में भी होली ही छाई हुई है।
होली के संदर्भ में पढ़ी और सुनी पौराणिक कथाओं से अलग यदि इसके सामाजिक महत्व के बारे में विचार करें तो यह पर्व भारतीय समाज के संरचनात्मक संगठन के लिये अत्यंत आवश्यक प्रतीत होता है| हमारे जीवन-मूल्य हमें अपने परिवार और पड़ोस, गाँव आदि से बहुत गहरे तक जोड़े रखते हैं| रिश्तों की इस गर्माहट और जीवंतता को बनाये रखने में होली जैसे पर्व खासा योगदान देते हैं| व्यक्तिगत कुंठा व अहम को दरकिनार कर सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करने का संदेश देता ये पर्व हमारे अनुशासित सामाजिक आचरण के बीच एक उन्मुक्त समीर की तरह आता है।
इस पर्व से गीत व संगीत का बहुत गहरा संबंध है। हजारों गीत इस पर्व से जुड़े हुये हैं फिर चाहे बात लोकगीतों कि हो या फिल्मी गीतों की। भारत की लगभग हर भाषा में होली-गीतों की परंपरा रही है; कहीं फाग है तो कहीं रसिया! तो आइये शुरुआत करते हैं सुप्रसिद्ध भक्त-कवयित्री मीरा बाई के एक भजन से जिसे स्वर दिया है सुप्रसिद्ध गायक अनूप जलोटा ने:
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
ऐसी तू रंग दे कि रंग नाहीं छूटे
धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया
लाल न रंगाऊँ मैं हरी न रंगाऊँ
अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया
बिना रंगाये मैं घर नहीं जाऊँगी
बीत ही जाये चाहे सारी उमरिया
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
प्रभु चरणन में लागी नजरिया
और अब मैं आपको अपने पैतृक गाँव में होली के अवसर पर गाये जाने वाला एक गीत पढ़ाता हूँ। वैसे तो इस गीत को होली पर गाये जाने का कोई विशेष औचित्य समझ नहीं आता। इसे एक पहेली कह सकते हैं, पर इसका अर्थ अब तक मुझे किसी ने नहीं बताया। आप भी कोशिश करें इसे बूझने की:
मेरा पसंदीदा फिल्मी होली गीत (फिल्म: मदर इंडिया) |
हमारो हो, इतनो करि काम हमारो - २
कान-सराई और गिंजाई की बारी बनवा देना
मगरमच्छ का हँसला झूमै, चंद्रमा जड़वा देना
काँतर की मोइ नथ गढ़वाय दै, जामे लटकै बिच्छू कारो हो
इतनो करि काम हमारो
अंबर की मोइ फरिया लाय दै, बिजुरी कोर धरा देना
जितने तारे हैं अंबर में, उतने नग जड़वा देना
धरती को पट करों घाघरो, शेषनाग को नारो हो
इतनो करि काम हमारो
छत के ऊपर अट्टे के नीचे, चौमहला बनवा देना
बिन पाटी और बिन सेरये के, पचरंग पलँग नवा देना
दिन में जापै बूढ़ो सोवै, राति कों है जाइ बारो हो
इतनो करि काम हमारो
ऐसे कई गीत या भजन हैं पर मुझे सिर्फ़ यही कुछ हद तक याद है। आप को भी ऐसी कोई चीज याद हो तो बतायें।
और आखिर मे प्रस्तुत है हमारे साहित्यशिल्पी मित्र श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' द्वारा भेजी गई वीडियो रिपोर्ट:
उत्तर भारत के प्रायः सभी प्रान्तों में रंग और उमंग का त्यौहार होली अनेक रीति रिवाज़ और परम्परा से मनाया जाता है| बृज भूमि मथुरा की लठमार होली जहाँ अनोखेपन के लिए विश्व प्रसिद्ध है वहीँ पर उत्तर प्रदेश के अन्य ग्रामीण अंचलों में इस पर्व के कई रूप देखने को मिलते हैं| इसमें स्वांग, धमार (धमाल) और होरी (होली पर लोक गीत) आदि का प्रचलन प्रमुख है| इन सभी रीति रिवाजों का उद्देश्य सबके मन से बैरभाव समाप्त कर जाति पांति छोटा बड़ा की संकुचित भावनाओं से ऊपर उठकर सामूहिक आनंद के साथ सामाजिक समरसता के लिए भी है| प्रस्तुत है दुधवा नेशनल पार्क से ख्यातिप्राप्त लखीमपुर खीरी (उ. प्र.) के एक गाँव में होली पर वीडियो रिपोर्ट :-
प्रस्तुत वीडियो में डबिंग के स्थान पर मूल ध्वनि का उपयोग परिवेश की बोली और शैली की मौलिकता से परिचय के लिए किया गया है| निर्विघ्नता से देखने के लिए एक बार पूरी तरह से बफर होने के उपरांत वीडियो दूसरी बार देखें|
9 टिप्पणियाँ
Nice cartoons shailendra jee. A well composed article with selection of good songs and video.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
जानकारीपूर्ण भी और मनोरंजक भी
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति है कार्टून रिपोर्ट और संगीत की बढिया जुगलबंदी।
जवाब देंहटाएंहोली के माहौल को बनाये रखने के लिये अच्छी प्रस्तुति है।
जवाब देंहटाएंबहुत भव्य, गाँव की होली का वीडियो बहुत प्रभावी है. इसे देखा करा पता चलता है की इन त्योहारों को आपसी सद्भाव का त्यौहार क्यों कहते है.. देखिये लोगों का प्रेम और सादगी कैसे देखते ही बना रही है... इसे कहते है होली मिलाना का असली मजा ... वाह मजा आगया.
जवाब देंहटाएंगीता भी बहुत मनभावन लगे.. इस पूरी प्रस्तुति के लिए आपको बधाई.
बहुत बढ़िया जानकारी लगी विडियो अच्छा लगा बहुत
जवाब देंहटाएंअजय जी और श्रीकान्त जी,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा आलेख और गीत तो बस पूछिए मत। आनन्द आगया। आभार।
वीडियो बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख और भारत के सही रूप (गांव) पर बने सुन्दर विडियो के लिये आभार..
जवाब देंहटाएंदोनों कवितायें भी एक से बढ कर एक लगी.
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