
मनोज बाजपेयी न केवल एक असाधारण अभिनेता हैं अपितु असाधारण व्यक्तित्व भी हैं। हिन्दी सिनेमा में मनोज बाजपेयी एक प्रयोगकर्मी अभिनेता रहे है। विविधता उनकी पहचान है, यही कारण है कि बैंडिट क्वीन, तमन्ना, सत्या, शूल, जुबैदा, अक्स, पिंजर, रोड, मनी है तो हनी है जैसी फिल्मों में अलग अलग किस्म की भूमिकायें निभा कर मनोज बाजपेयी एसे कलाकार के रूप में स्थापित होते हैं जो किसी एक प्रकार में नहीं बंधता।

मनोज बाजपेयी एक विचार और अभियान भी हैं। यह बात हिन्दी ब्ळोगिंग के क्षेत्र में उनके उतरने के बाद से और स्पष्टतर होती है। हिन्दी सिनेमा से नाम कमाने वाले किसी सेलिब्रिटी नें हिन्दी में चिट्ठा लिखने की पहल नहीं की, यह केवल मनोज बाजपेयी ही हैं जिन्हे अपनी भाषा में अपनी बात कहना श्रेयस्कर जान पडा। बिहार में बाढ की विभीषिका का दर्द हो या कि मुम्बई में आतंकवादी हमलों की टीस, मनोज बाजपेयी अपने चिट्ठे पर उसे अभिव्यक्त करते हैं, पूरी गंभीरता और सशक्तता के साथ।
बिहार के पश्चिमी चंपारण के छोटे से गांव बेलवा में जन्मे मनोज बाजपेयी की आरंभिक कर्मभूमि दिल्ली रही है जहाँ उन्होंने रामजस कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की। दिल्ली थियेटर से अभिनय की शुरुआतकर मनोज बाजपेयी नें आकाश को छुआ है। साहित्य शिल्पी आभारी है कि उन्होंने हमें साक्षात्कार देना स्वीकार किया। प्रस्तुत है साहित्य शिल्पी की मनोज बाजपेयी से बातचीत:-
साहित्य शिल्पी: मनोज जी! आपके अनुसार मनोज बाजपेयी क्या है?
मनोज बाजपेयी: मनोज बाजपेयी क्या है?... मनोज बाजपेयी एक गाँव का आदमी है जो एक अभिनेता है, एक अभिनेता रहने की कोशिश करता है और उस अभिनेता के साथ जस्टिफ़ाई करने की कोशिश करता है।
मनोज बाजपेयी एक गाँव का आदमी है जो एक अभिनेता है, एक अभिनेता रहने की कोशिश करता है और उस अभिनेता के साथ जस्टिफ़ाई करने की कोशिश करता है।
साहित्य शिल्पी: आपने बहुत सी फिल्में की हैं. आपका पसन्दीदा रोल कौनसा रहा आपकी फिल्मों में?
मनोज बाजपेयी: मुश्किल होता है किसी भी अभिनेता के लिये ये कह पाना, लेकिन ये है कि चाहे वो "शूल" हो, चाहे "बैंडिट क़्वीन" हो या फिर "तमन्ना" हो, "सत्या" हो या "कौन" हो, ये सब बहुत सोच समझ के ली हुई फिल्में थीं और बड़ी मेहनत से की गई फिल्में थीं। फिर भी मैं कह सकता हूँ कि "1971" मेरे दिल के बहुत करीब है और "स्वामी"
साहित्य शिल्पी: बॉलीवुड के आपके शुरुआती दिनों में ही आपको महानायक अमिताभ बच्चन के साथ अक्स फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म से जुडा कोई ऐसा वाकया जो आप पाठकों को बताना चाहेंगे।
मनोज बाजपेयी: अक्स फिल्म के साथ जुडा एक-एक वाकया मेरे लिये अनुभव है। महानायक अमिताभ बच्चन के साथ कार्य करना ही ऐसा अनुभव था जिसे मैं हमेशा याद रखना चाहूँगा।
साहित्य शिल्पी: पात्र के चयन में आप किस बात को अधिक महत्व देते हैं?
मनोज बाजपेयी: उसका आलराउण्ड अस्पेक्ट हो, डाइमेन्शन उसका राउण्ड हो। कहीं से भी वो पूरी तरह से सिर्फ हीरो न दिखाई दे या सिर्फ विलैन न दिखाई दे। एक ग्रे शेड उसमें हमेशा रहे, उसकी गुंज़ाइश रहे और एक अच्छी स्क्रिप्ट का हिस्सा हो।
साहित्य शिल्पी: मनोज जी! फिल्मों से थोड़ा हट कर हम नाटक की तरफ आते हैं, नाटक और फिल्मों के बीच एक कलाकार के तौर पर आप क्या अंतर पाते हैं?
मनोज बाजपेयी: मेरे हिसाब से कभी कोई फ़र्क़ नहीं रहा है क्योंकि मैंने जिस समय नाटक किया, उसका साइंटिफिकली काफी विकास हो चुका था। आजकल के नाटक उस हिन्दी शब्द 'नाटकीय' से अलग हो चुके हैं। कहीं न कहीं बहुत जीवन्त होते हैं, रियलिज्म के बहुत करीब होते हैं।
साहित्य शिल्पी: फिर भी मनोज जी, ऐसा नहीं लगता कि नाटक को वो स्थान नहीं मिल पाया जो उसे मिलना चाहिये. रंगमंच का क्या भविष्य है?
मनोज बाजपेयी: रंगमंच का भविष्य अभी हाल-फिलहाल तो जैसा है वैसा ही रहेगा। न उसको कोई सपोर्ट है, न उसको देखने वाले हैं। जिस तरह से टेलिविजन का विस्तार हुआ है, उससे मिडिल क्लास ने तो घर से निकलना ही बंद कर दिया है। थियेटर कुछ एक चुनिंदा लोगों के शौक़ के कारण ज़िंदा थी और ज़िंदा रहेगी।
रंगमंच का भविष्य अभी हाल-फिलहाल तो जैसा है वैसा ही रहेगा। न उसको कोई सपोर्ट है, न उसको देखने वाले हैं। जिस तरह से टेलिविजन का विस्तार हुआ है, उससे मिडिल क्लास ने तो घर से निकलना ही बंद कर दिया है। थियेटर कुछ एक चुनिंदा लोगों के शौक़ के कारण ज़िंदा थी और ज़िंदा रहेगी।
साहित्य शिल्पी: आपके अनुसार नाटक का पतन हो रहा है या ये जीवित रहेगा?
मनोज बाजपेयी: जीवित रहेगा. थियेटर कभी भी खत्म नहीं हो सकता। जिस समय से इंसान पैदा हुआ है तब से थियेटर है और हमेशा रहेगा। लेकिन हाल-फिलहाल में उसका भविष्य यदि कहें कि ब्राडवे की तरह हो जायेगा या फिर ये कहें कि वो लंदन के थियेटर की तरह से हो जायेगा या पेरिस के थियेटर की तरह से हो जायेगा; तो ये कहना अभी मुश्किल है।
साहित्य शिल्पी: दिल्ली थियेटर से आप कभी लंबे समय तक जुड़े रहे हैं. आपका इसके संदर्भ में क्या विचार है?
मनोज बाजपेयी: दिल्ली थियेटर मेरे हिसाब से काफी प्रोग्रैसिव थियेटर सर्कल है लेकिन दुख इस बात का है कि वहाँ पे उसे दर्शक नहीं मिल पाते हैं।
साहित्य शिल्पी: जन-नाट्य मंच से जुडे आपके अनुभव?
मनोज बाजपेयी: जननाट्यमंच से मैं अधिक तो नही जुडा रहा लेकिन कुछ एक नुक्कड नाटक मैने किये हैं। हाँ सफदर हाशमी से मेरी मित्रता थी, जिनकी हत्या भी हो गयी थी। नुक्कड नाटक अभिनेता को दर्शकों से सीधे जोडता है यह अनुभव मैने उस समय किया।
साहित्य शिल्पी: दिल्ली रंगमंच पर आपका एक नाटक “नेटुआ” काफी प्रसिद्ध हुआ था। ये भी सुनने में आया था कि आप इस पर एक फिल्म भी करने वाले हैं। क्या ये सच है?
मनोज बाजपेयी: यह मेरी योजना अवश्य थी किंतु अब मैने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह बहुत अच्छा नाटक है और अब कोई नया कलाकार ही इसे करेगा।
साहित्य शिल्पी: फिल्म और साहित्य के बीच आप कैसा संबंध पाते हैं, दोनों के बीच पैदा होती दूरी के लिये किसे जिम्मेदार ठहरायेंगे?
मनोज बाजपेयी: फिल्म और साहित्य के बीच आज दूरी आ गयी है, ऐसा होना नहीं चाहिये। इस दूरी के लिये फिल्मकारों को ही दोषी ठहराना होगा। लेकिन ऐसा नहीं है कि अच्छे साहित्य पर फिल्में बनायी गयी तो वे चलेंगी नहीं या लोग उसे पसंद नहीं करेंगे।
साहित्य शिल्पी: क्या साहित्यिक पृष्ठभूमि पर आज भी अच्छी और सफल व्यावसायिक फिल्म बनायी जा सकती है?
मनोज बाजपेयी: बिलकुल बनायी जा सकती हैं और हाल फिलहाल तक बनती भी रही हैं। मैं अपनी फिल्म पिंजर का जिक्र करना चाहूँगा जो कि एक प्रसिद्ध उपन्यास पर बनी है और अपनी पटकथा के कारण दर्शकों के द्वारा भी बहुत सराही गयी। साहित्य और सिनेमा को किसी भी तरह से अलग कर के नहीं देखा जा सकता। अच्छे साहित्य पर बनने बाली फिल्मों को दर्शकों की प्रशंसा अवश्य मिलेगी।
साहित्य शिल्पी: आपने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है। उन बच्चों के साथ गुजारे गये लम्हों ने आपको बेहतर अभिनेता और बेहतर इंसान बनने में कितनी मदद मिली।
मनोज बाजपेयी: हाँ मैं इन पलों को अपने जीवन के श्रेष्ठतम क्षणों में रखता हूँ। यह सही है कि इन क्षणों ने मनोज बाजपेयी को निश्चित तौर पर बेहतर इंसान बनने में मदद की।
कुछ मित्रों के प्रोत्साहन से मैंने भी अपना ब्लॉग बना लिया और अब जितना भी समय मिलता है, इस माध्यम से अपने चाहने वालों से रूबरू होने की कोशिश करता रहता हूँ। यह अच्छा माध्यम है। जहाँ लोग एक अभिनेता से इतर मनोज के व्यक्तित्व को या उसके जीवन के दूसरे पहलू से परिचित हो सकते हैं। यहाँ मैं उन विषयों पर भी बात कर सकता हूँ जो मैं सोचता रहता हूँ या मेरे भीतर विचार की तरह हैं। ब्लॉगिंग का सुनहरा भविष्य है तथा यह एक अच्छा माध्यम है अपने विचारों को सीधे पहुँचा सकने का। मुझे ब्लॉगिंग में आनंद आ रहा है।
साहित्य शिल्पी: आप एक ब्लॉगर भी हैं .. हिन्दी में ब्लॉग लिखने वाले आप पहले सेलीब्रिटी हैं। आपको ब्लॉग बनाने की प्रेरणा कैसे मिली और आपके विचार से ब्लॉगिंग का भविष्य क्या है ?
मनोज बाजपेयी: कुछ मित्रों के प्रोत्साहन से मैंने भी अपना ब्लॉग बना लिया और अब जितना भी समय मिलता है इस माध्यम से अपने चाहने वालों से रूबरू होने की कोशिश करता रहता हूँ। यह अच्छा माध्यम है। जहाँ लोग एक अभिनेता से इतर मनोज के व्यक्तित्व को या उसके जीवन के दूसरे पहलू से परिचित हो सकते हैं। यहाँ मैं उन विषयों पर भी बात कर सकता हूँ जो मैं सोचता रहता हूँ या मेरे भीतर विचार की तरह हैं। ब्लॉगिंग का सुनहरा भविष्य है तथा यह एक अच्छा माध्यम है अपने विचारों को सीधे पहुँचा सकने का। मुझे ब्लॉगिंग में आनंद आ रहा है।

साहित्य शिल्पी: अपने चाहने वालों को कृपया अपने आने वाली फिल्म के बारे में कुछ बताएँ
मनोज बाजपेयी: मेरी आने वाली फिल्म का नाम है जुगाड। जुगाड दिल्ली में हुई एम.सी.डी की सीलिंग के दौरान की सत्य घटना पर आधारित फिल्म है। इसमें मेरी भूमिका एक विक्टिम की है।
साहित्य शिल्पी: हमें खबर मिली है की मुंबई की एनिमेशन कंपनी माया एंटरटेनमेंट लिमिटिड (एमईल) ने आपको भगवान राम के चरित्र के लिये आवाज देने का प्रस्ताव रखा है.. क्या यह सच है और आप इसे किस प्रकार देख रहे हैं?
मनोज बाजपेयी: जी आपकी खबर बुलकुल सच है बल्कि यह कार्य मैंनें अधिंकांश कर भी लिया है। राम के चरित्र को आवाज देते हुए मैने यह ध्यान रखने की कोशिश की कि मेरी आवाज राम जैसे महान चरित्र के अनुकूल हो सके। यह भिन्न तरह का अनुभव था जो मेरे सामान्य कार्य करने के तरीके और प्रकार से बिलकुल ही भिन्न था।
साहित्य शिल्पी: हाल में मुम्बई पर हुए आतंकी हमले पर आप क्या कहना चाहेंगे? आपने अपने ब्लॉग पर भी इस विषय पर चर्चा की है। अब तो इस विषय पर राजनीति भी आरंभ हो गयी है।
मनोज बाजपेयी: मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमलों की कडी आलोचना होनी चाहिये। लोगों की प्रतिक्रियायें जो आ रही हैं वह जायज हैं। भारत पर इस तरह का हमला करवाने वालों को पता चलना चाहिये कि हम कोई कमजोर मुल्क नहीं है। इस हमले में मारे गये सभी शहीदों और निर्दोश नागरिकों को मेरी श्रद्धांजलि है। एसी घटनायें नहीं होनी चाहिये।
मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमलों की कडी आलोचना होनी चाहिये। लोगों की प्रतिक्रियायें जो आ रही हैं वह जायज हैं। भारत पर इस तरह का हमला करवाने वालों को पता चलना चाहिये कि हम कोई कमजोर मुल्क नहीं है। इस हमले में मारे गये सभी शहीदों और निर्दोश नागरिकों को मेरी श्रद्धांजलि है। एसी घटनायें नहीं होनी चाहिये।
राजनीति को आज या कल तो आरंभ होना ही था। यह राजनेताओं का काम है, लेकिन नेताओं को भी दोष दे कर क्या होगा? अब लोगों को समझने की बारी है,पाकिस्तान की जनता को भी समझना होगा इस राजनीति को। मेरा अपना मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितना दबाव बना सकते हैं, पाकिस्तान पर, वो बनाया जाए ताकि पाक में जो भी आतंकी ट्रैनिंग कैंप है, वो खत्म हो।
साहित्य शिल्पी: "साहित्य शिल्पी" पर आपके विचार? पाठकों के लिये कोई संदेश?
मनोज बाजपेयी: साहित्य शिल्पी एक अच्छा प्लेटफार्म है। हिन्दी का धीरे धीरे नेट पर प्रसार हो रहा है। यह बेहतरी के लिये है। इसके पाठको को शुभकामनायें।
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45 टिप्पणियाँ
मनोज बाजपेयी को एक अच्छे अभिनेता के रूप में तो कई बार सिनेमा के पर्दे पर देखा है पर आज सिनेमा से इतर अन्य सवालों पर उनके विचार जानकर बहुत खुशी हुई. मनोज जी का ब्लॉग भी एक-दो बार देखा है पर अब नियमित देखने की उत्कंठा हो गई है.
जवाब देंहटाएंसुंदर साक्षात्कार के लिये साहित्यशिल्पी का आभार!
किसी हिन्दी पोर्टल पर मनोज बाजपेयी का साक्षात्कार इस तरह से प्रस्तुत होना बताता है कि हिन्दी नेट प्रगति कर रहा है। साहित्य शिल्पी की यह बडी प्रस्तुति है।
जवाब देंहटाएंVery nice questions and ultimate answers. Manoj Bajpai is a great actor.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
फिल्मों और उससे जुडे मनोज बाजपेयी को तो पूरा विश्व जानता है लेकिन साहित्य, नाटक और आतंकवाद जैसे विषयों पर उनके विचार जान कर बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंमुम्बई में हुई आतंकी घटनाओं और उन पर हो रही राजनीति की मनोज बाजपेयी नें जिन शब्दों में निंदा की यह वह उनके व्यक्तित्व की झलक द्र्ता है। मनोज बाजपेयी असाधारण अभिनेता हैं। उन्हे मेरी शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय काम किया है साहित्य शिल्पी नें ब्लोग और हिन्दी नेट में इसे क्रांति के तौर पर देखा जाना चाहिये। मनोज बाजपेयी निस्संदेह आज के समय के गंभीर और सशक्त अबिनेताओं में से एक हैं। उनके जीवन के कई पहलू इस साक्षात्कार से प्रस्तुत हुए।
जवाब देंहटाएंआपने सही लिखा है कि "मनोज बाजपेयी एक विचार और अभियान भी हैं। यह बात हिन्दी ब्ळोगिंग के क्षेत्र में उनके उतरने के बाद से और स्पष्टतर होती है। हिन्दी सिनेमा से नाम कमाने वाले किसी सेलिब्रिटी नें हिन्दी में चिट्ठा लिखने की पहल नहीं की, यह केवल मनोज बाजपेयी ही हैं जिन्हे अपनी भाषा में अपनी बात कहना श्रेयस्कर जान पडा। बिहार में बाढ की विभीषिका का दर्द हो या कि मुम्बई में आतंकवादी हमलों की टीस, मनोज बाजपेयी अपने चिट्ठे पर उसे अभिव्यक्त करते हैं, पूरी गंभीरता और सशक्तता के साथ।" बहुत अच्छा लगा मनोज बाजपेयी का यह साक्षात्कार साहित्य शिल्पी पर पढना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट। ब्लोग जगत परिपक्व होता जा रहा है। मनोज बाजपेयी का अच्छा इंटरव्यु है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा साक्षात्कार है। मनोज बाजपेयी को प्रस्तुत करने के लिये साहित्य शिल्पी को बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा अभिनेता मनोज वाजपेयी से ‘साहित्य शिल्पी ’ का साक्षात्कार।
जवाब देंहटाएंमनोज वाजपेयी जी को अभिनेता के रूप में जानते थे.. इस साक्षात्कार के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलूओं पर उनके विचार जानने का अवसर मिला... आभार
जवाब देंहटाएंबहुमुखी प्रतिभा के धनी मनोज बाजपेयी का साक्षात्कार प्रभावी है। इनके ब्लाग का जिक्र हुआ है यदि लिंक भी देते तो उचित था।
जवाब देंहटाएंमनोज बाजपेयी के अंचुए पहलु जो महले कहीं नहीं पढे इस इंटरव्यु मे प्रस्तुत हुए है। मनोज जी का मैं शूल देखने के बाद से ही बडा फैन हूँ।
जवाब देंहटाएंइस साक्षात्कार के लिये साहित्य शिल्पी की पूरी टीम को बधाई।
जवाब देंहटाएंहिन्दी के साहित्य का और फिल्मों का जोड़
जवाब देंहटाएंकालांतर से साथ है, सचमुच यह बेजोड़
सचमुच यह बेजोड़ मनोज बाजपेयी बोले
फैल रहा साहित्य का सागर होले होले
मैं भी लिखने लगा ब्लोग बनाकर अपना
लगा दीखने मुझे पूर्ण होता एक सपना
चाहने वालों से रूबरू अब सीधे होता..
मन के अंतर के मैं अपने भाव पिरोता
साहित्य शिल्पी ने सुन्दर एक कदम उठाया
वक्त वक्त पर कला-विदो से है मिलवाया
साहित्य और कला से सचमुच यही प्यार है
साहित्य शिल्पी, बहुत बहुत दिल से आभार है
मनोज बाजपेयी जी से उनके विचार सुन कर बहुत अच्छा लगा .बधाई
जवाब देंहटाएंbadhai is jan naayak ko
जवाब देंहटाएंI read the entire interview with great interest and i enjoyed it. I must congratualate Rajiv ,ajay and other members of Sahitya shilpi for this great job ..
जवाब देंहटाएंbahut badhai ..
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
मनोज बाजपेयी को नमस्कार। बढिया इंटरव्यू है।
जवाब देंहटाएंइस इंटरव्यु को पुरे दिन उपर ही रखें तो बेहतर होगा। इससे पाठकों को इतने अच्छे इंटरव्यु को ढूंढने नीचे स्क्रोल नहीं करना पड़ेगा। खैर इतने अच्छे कलाकार एवं अच्छे व्यक्तित्त्व से मिलाने के लिए साहित्य शिल्पी को धन्यवाद एवं अच्छे काम के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंरविश
साहित्य शिल्पी का बहुत ही सुंदर प्रयास है... एक एक प्रश्न चिंता से भरा और उत्तर संभावनाओं से .... बहुत उम्दा साक्षातकार... बधाई स्वीकार करें....
जवाब देंहटाएंमनोज वाजपेयी की बातचीत में एक साफगोई और ईमानदारी है। बॉलीवुड में इस मौलिकता को बचाए रखना आसान काम नहीं है।
जवाब देंहटाएंमनोज वाजपेयी मेरे प्रिय अभिनेता रहे हैं। आज उनको एक अच्छे इन्सान के रूप में जाना। साहित्य शिल्पी को इस उपलब्धि के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंमनोज बाजपेयी जी के बारे मे जानकर वाकई मे अच्छा लगा, एक अच्छे अभिनेता के तौर पर तो हम उन्हे जानते ही हैं, आज एक अच्छे इंसान के रूप मे भी जानना, समझना अच्छा अनुभव रहा। साहित्य, नाटक पर उनकी सोच को जानना भी अच्छा लगा। अभी तक यह नही पता था की मनोज जी ब्लॉग भी लिखते हैं, कोशिश रहेगी कि उनको वहां भी पढ़ती रहूँ।
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी का यह प्रयास सराहनीय और प्रशंसनीय है। उम्मीद है कि हमे इस तरह के और भी अनुभव मिलते रहेंगे।
Manoj ji i m grt fan of urs. Nice interview.
जवाब देंहटाएं-Seema Sinha
राजीव जी बहुत-बहुत धन्यवाद हमारे फ़ेवरेट हीरो को साहित्य-शिल्पी पर लाने के लिये...उनके बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा...
जवाब देंहटाएंSANVAAD SARAAHNIYA HAI.HAR SAPTAH
जवाब देंहटाएंKISEE N KISEE SE SANVAAD HONA HEE
CHAHIYE.
Manoj ji, sahitya shilpi par aane aur utsah badhane ke liye bahut shukriya. Aasha hai aap age bhi hamara utsahvardhan karte rahenge.
जवाब देंहटाएंहिन्दी फ़िल्म उद्योग से हिन्दी साहित्य का जुडाव उस के आरंभिक दिनों से देखा गया है और ये हमेशा बना रहेगा | मात्रा घट बढ़ सकती है | इसी जुडाव को प्रर्दशित करती है मनोज जी द्वारा अभिनीत अधिकाँश फिल्में .. चाहे वो जुबैदा हो या डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी की पिंजर ... इस बात का उदाहरण हैं .. उनका हिन्दी साहित्य और मंच के प्रति आदर भावः उनके द्वारा दिए गए उत्तरों में सहज झलकता है.. चूँकि साहित्य की समझ और उस के प्रति गहरी सोच समझ को बढ़ावा देना साहित्य शिल्पी का लक्ष्य है , फ़िल्म इंडस्ट्री से जुदा पहला साक्षात्कार मनोज जी का होना सुखद रहा.. उनके भविष्य के लिए मंगल कामना और शिल्पी टीम को बधाई ....
जवाब देंहटाएंVishwash nahi hota ki hindi blog aur sites mature ho gaye hai. Nice to see such interviews on hindi platform. (i am sorry for not writing in hindi). Manaoj ji you are real hero.
जवाब देंहटाएंShrinivas T.
Hyderabad
मनोज जी का साक्षात्कार लेने के दौरान मैं भी पहली बार उन्हें एक अभिनेता से अलग रूप में जान रहा था और उनके विचार जानकर उनके लिये सम्मान और भी बढ़ गया. साहित्य शिल्पी परिवार इस साक्षात्कार के लिये उनका आभारी है.
जवाब देंहटाएंजैसा कि कुछ पाठकों ने सुझाव दिया था, उनके ब्लाग का लिंक भी साक्षात्कार में जोड़ दिया गया है.
मेरे पसंदीदा अभिनेता का यह अनुपम साक्षातकार बहुत ही अच्छा लगा। साहित्य शिल्पी की टीम के लिए हार्दिक धन्यवाद और मनोज जी के लिए मंगलकामनाएं।
जवाब देंहटाएंअनुराधा श्रीवास्तव जी, मनोज बाजपेयी के हिंदी ब्लॉग का लिंक नीचे हैः
http://manojbajpayee.itzmyblog.com/
मनोज बाजपेयी जी को साहित्य-शिल्पी पर पढना बहुत हीं सुखद रखा। मनोज जी ने हर सवाल का बड़ी हीं खूबसूरती से जवाब दिया है।
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी को इस उपलब्द्धि को बहुत-बहुत बधाईयाँ।
-तन्हा
अच्छा रहा साक्षात्कार और मनोज भाई से मुलाकात और उनके विचार जानना
जवाब देंहटाएंसाहित्य शिल्पी के प्रयास जारी रहेँ -
- लावण्या
Manoj bhai niv interview - Raghu
जवाब देंहटाएंसाहित्य-शिल्पी का
जवाब देंहटाएंअभिनेता मनोज बाजपेयी के
सुंदर साक्षात्कार के लिये....
आभार...
उनके विचार जान कर बहुत अच्छा लगा...
शुभकामनायें....
मनोज जी की प्रतिभा का कायल तो मैँ शुरू से हूँ...आज उनके बारे में और जान कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबढिया साक्षात्कार के लिए साहित्य शिल्पी को बधाई
बेहद सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहद सहज एवं सार्थक संवाद।
प्रवीण पंडित
Anand aa gaya padh ker.
जवाब देंहटाएंAshish Zindal
मनोज अपने आप में एक संस्था हैं और उनके कई रूप आपके इस साक्षात्कार में आये हैं. ये भी बहुत बड़ी बात है कि ज़मीन से जुड़े इस शख्स ने अपनी बात सब तक पहुंचाने के लिए हिन्दी ब्लाग बनाया है. बहुत पहले दिल्ली से ही आयी एक अभिनेत्री अनु अग्रवाल ने जब मीडिया को हिन्दी में साक्षात्कार देने शुरू किये थे तो उसे मिली जुली प्रतिक्रिया मिली थी लेकिन हमने इस बात को बहुत पसंद किया था कि आप जिस परिवेश से आते हैं तो उस परिवेश की भाषा से आपका जुड़ाव आपको अपने चाहने वालों के और नजदीक ले जाता है.
जवाब देंहटाएंएक ईमानदार साक्षात्कार देने के लिए मनोज को बधाई और आप दोनों ने ये कर दिखाया, आपको अलग से बधाई
सूरज प्रकाश
मनोज बाजपेयी
जवाब देंहटाएंएक अद्भुत अभिनेता ... एक महान कलाकार और अब एक ब्लागर के साथ साथ संवेदनशील नागरिक .....
मनोज जी के बारे में शब्दों से बयां करना बहुत ही कठिन है. ऐसे व्यक्तित्व का साहित्यशिल्पी पर पदार्पण
इस ब्लाग के लिए एक उपलब्धि है. इसके लिए मनोज जी का बहुत बहुत आभार
एक बेहतरीन अभिनेता...एक बेहतरीन साक्षात्कार. साहित्यशिल्पी यूँ ही आगे बढ़ते रहे..!!
जवाब देंहटाएंमनोज बाजपेयी एक विचार और अभियान भी हैं। यह बात हिन्दी ब्ळोगिंग के क्षेत्र में उनके उतरने के बाद से और स्पष्टतर होती है। हिन्दी सिनेमा से नाम कमाने वाले किसी सेलिब्रिटी नें हिन्दी में चिट्ठा लिखने की पहल नहीं की, यह केवल मनोज बाजपेयी ही हैं जिन्हे अपनी भाषा में अपनी बात कहना श्रेयस्कर जान पडा।
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तभी तो मनोज जी लीक से हटकर चलने वाले व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं. इस अनुपम प्रस्तुति हेतु साहित्यशिल्पी को बधाई.
film jagat ke manjhe hue kalakaro me se ek shri manoj ji vajpai ka sakshatkar pad bahut achha laga.
जवाब देंहटाएंaap sadhuvad ke haqdar hain
vishyit abhineta film jagat ke chand un logo me se jinki hindi bhasa par pakad lajawab hain
inka man darshan karvakar
apne sahitya shilpi ki garima barkaarar rakhi
bahut bahut dhanyawad
very nice interviev
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.