
नजर मिली क्या तेरी नजर से
गयी न सूरत मेरी नजर से
10 जनवरी 1960 को चैनपुर (जिला सहरसा, बिहार) में जन्मे श्यामल सुमन में लिखने की ललक छात्र जीवन से ही रही है। स्थानीय समाचार पत्रों सहित देश की कई पत्रिकाओं में इनकी अनेक रचनायें प्रकाशित हुई हैं। स्थानीय टी.वी. चैनल एवं रेडियो स्टेशन में भी इनके गीत, ग़ज़ल का प्रसारण हुआ है।
अंतरजाल पत्रिका साहित्य कुंज, अनुभूति, हिन्दी नेस्ट, कृत्या आदि में भी इनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित हैं।
इनका एक गीत ग़ज़ल संकलन शीघ्र प्रकाश्य है।
नजर लगे न तुम्हें किसी की
खुदा बचाये बुरी नजर से
नजर की बातें नजर ही जाने
सुनी है बातें कभी नजर से
नजर उठाना नजर झुकाना
वो कनखियाँ भी दिखी नजर से
वो तेरा जाना नजर चुरा के
नजर न आई कहीं नजर से
नजर मिला के हो सारी बातें
नयी चमक फिर उठी नजर से
नजर दिखा के किया है घायल
और मुस्कुराना नयी नजर से
नजर न आना बहुत दिनों तक
छलक पड़े कुछ इसी नजर से
भला करे क्यों नजर को टेढ़ी
कभी न गिरना किसी नजर से
नजर पे चढ़ के सुमन करे क्या
नजर है रचना खुली नजर से
11 टिप्पणियाँ
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंNice GaZal
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
नजर दिखा के किया है घायल
जवाब देंहटाएंऔर मुस्कुराना नयी नजर से
नजर न आना बहुत दिनों तक
छलक पड़े कुछ इसी नजर से
बहुत अच्चे भाव।
हर शेर अच्छा है।
जवाब देंहटाएंसरल भाषा में कही गयी ग़ज़ल अच्छी बन पडी है।
जवाब देंहटाएंअच्छी ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल!!
जवाब देंहटाएंWAAH WAAH WAAH ..... BHAIYA KYA LAJAWAAB LIKHA HAI AAPNE...
जवाब देंहटाएंITNA SUNDAR SHABD BHAAV KA PRAYOG AUR SAMANJASY...SHABDON KA PAARKHI AUR DHAANI HI KAR SAKTA HAI...BAHUT HI BADHIYA....WAAH !!!
स्नेह समर्थन आपका लेखन का आधार।
जवाब देंहटाएंसुमन हृदय के भाव से प्रेषित है आभार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
दास्ताँ-ए-नज़र
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर.
नजर उठाना नजर झुकाना
जवाब देंहटाएंवो कनखियाँ भी दिखी नजर से
वो तेरा जाना नजर चुरा के
नजर न आई कहीं नजर से
बहुत अच्छी व प्रभावशाली ग़ज़ल ...
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.