धरती के गर्म होने को ले कर जब बाते आरंभ हुई तो उसे कुछ वर्षों पहले "कुछ लोगों का दिमागी फितूर" करार किया गया; लेकिन देखते ही देखते इस सुरसा का मुख खुला और भयावहता सामनें आ गयी। धरती के गर्म होने का असर इस दुनिया को विनाश की ओर ले जा रहा है और हमे अब यह अहसास हो जाना चाहिये कि हम "टाईमबम" पर बैठे हुए हैं। झगडा विकासशील देश और विकसित देश के बीच कार्बन उत्सर्जन को ले कर भी है लेकिन इस सत्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि धरती हमें बहुत अधिक विमर्श करने का अवसर देने की स्थ्ति में नहीं है। हमारे ध्रुव पिघल रहे हैं; हमारे ग्लेशियर खिसक रहे हैं, हमारे मानसून को नजर लग गयी है, हमारी सर्दियाँ गायब हो गयी है......क्या हम अब भी केवल हाँथ पर हाँथ धरे रहेंगे?
यह कई स्तरों की लडाई होनी चाहिये। वैज्ञानिक समाधान तलाशें; तो सामाजिक कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर जुटे साथ ही साहित्यकार जन-चेतना फैलाने की ओर अग्रसर हों। इस कडी में साहित्य शिल्पी "राजीव रंजन प्रसाद" से चैनल-1 के देवेश वशिष्ठ "खबरी" नें ग्लोबल वार्मिग के मुद्दे पर बातचीत की। राजीव रंजन प्रसाद साहित्यकार होने के साथ साथ पर्यावरणविद भी हैं। प्रस्तुत है ग्लोबल वार्मिग पर उनकी कविता और बातचीत -
http://www.youtube.com/watch?v=Pdq2GHa6H5o
11 टिप्पणियाँ
देवेश का प्रस्तुतिकरण अच्छा है। राजीव जी आपकी कविता पहली बार आपके मुख से सुनी। बधाई।
जवाब देंहटाएंNice Presentation.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
सार्थक बात और कवित के प्रेरक स्वर ..... एक और आशा भरी बात .... शुभकामना
जवाब देंहटाएंधरती की व्यथा सुनवाने का आभार। ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता सभी को करने कक़ समय आ गया है।
जवाब देंहटाएंaap ki kvita suni achha lga
जवाब देंहटाएंkya aap prithvi ki gati ko rok skte ho shyd nhi kuchh bharty shashtron se anbhigy vaigyanikon ke ye shbd sbhi aankh moond kr doraye ja rhe hain lb ki yh to hona hi hai aap ko prithvi ki tisri gti ka to maloom hoga hi do gtiyin ke atirikt yh jo tisri gti hai us ke karn hi to yh sb ho rha hai aur hoga koi ise rok nhi skta hai thoda bhut km to kr skte hai videshiyon ki asli chal hme bad men smjh aati hai ki is ke pichhe un ka kya uddeshy hai ise bhi smjhna hoga amerika ne aaj tk jo kiya hai sb apne swarth ke liye hi kiya hai is se phle bhi jo aapdayen aai hai ve kya kisi se rooki hain khoob viksit vigya sunami ko rook paa kya chlo sb thik ho jayega
dr. ved vyathit
बधाई देवेश जी और राजीव जी
जवाब देंहटाएंराजीव जी की कविता और शेर दोनों ही अच्छे थे सुनने का आनंद आ गया
जवाब देंहटाएंग्लोबल वार्मिंग विषय पर साहित्य शिल्पी पर भी एक चर्चा कराईये।
जवाब देंहटाएंराजीव जी कविता सुनाने का अंदाज पसंद आया।
जवाब देंहटाएंACHCHHEE RACHNAAON KE LIYE DEVESH
जवाब देंहटाएंAUR RAJIV JEE KO BADHAAEE AUR SHUBH
KAMNA.
एक समसमायिक विषय पर देवेश द्वारा महत्वपूर्ण चर्चा एंव राजीव जी की सुन्दर कविता का बढिया समागम हुआ है
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.