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शाम होते शराब मांगेगा [ग़ज़ल] - दीपक गुप्ता


रचनाकार परिचय:-

दीपक गुप्ता [का जन्म 15 मार्च 1972 को दिल्ली में हुआ। आप दिल्ली विश्वविद्यालय से कला में स्नातक हैं। आपकी प्रकाशित कृति हैं:- सीपियों में बंद मोती (कविता संग्रह) – 1995; आप की रचनायें देश के सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित व टेलीविजन कार्यक्रमों में प्रसारित होती रही हैं।
एक दिन वो जवाब मांगेगा
ज़िन्दगी का हिसाब मांगेगा

वो मुहब्बत में सबसे पहले तो
तेरी आँखों के ख्वाब मांगेगा

मैंने ग़ज़लें कही पता था कि, वो
मुझसे मेरी किताब मांगेगा

तेरे होठों की ताजगी ऐ सनम
बाग़ का हर गुलाब मांगेगा

दिन में तौबा करेगा वो "दीपक"
शाम होते शराब मांगेगा

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9 टिप्पणियाँ

  1. वो मुहब्बत में सबसे पहले तो
    तेरी आँखों के ख्वाब मांगेगा

    बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  2. वो मुहब्बत में सबसे पहले तो
    तेरी आँखों के ख्वाब मांगेगा
    IS SHER NE TO DIL ME GHR KAR LIYA.
    BAHUT SUNDER
    SAADER
    RACHANA

    जवाब देंहटाएं
  3. दिन में तौबा करेगा वो "दीपक"
    शाम होते शराब मांगेगा

    ...सटीक बात

    जवाब देंहटाएं
  4. वो मुहब्बत में सबसे पहले तो
    तेरी आँखों के ख्वाब मांगेगा
    बहुत ही खूबसूरत भाव!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर ग़ज़ल बधाई दीपक जी रचना बहुत बढ़िया लगी

    जवाब देंहटाएं

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