
मैं जब भी बात करता हूँ
किसी के बारे में
सिर्फ अपने बारे में बात करता हूँ
या किसी शहर के बारे में बात करूँ
इसका मतलब अपने शहर पर बात करना होता है
नाम - ओमप्रकाश शर्मा
जन्म - २० जनवरी १९५६
शिक्षा - एम.ए., पी.एच.डी.
प्रकाशन - दो कविता संग्रह और आलोचना पर एक पुस्तक के अतिरिक्त महत्वपूर्ण पत्रिकाओं मे लगातार प्रकाशित
पुरुस्कार - कविता के लिये ’वागीश्वरी ’पुरुस्कार
जन्म - २० जनवरी १९५६
शिक्षा - एम.ए., पी.एच.डी.
प्रकाशन - दो कविता संग्रह और आलोचना पर एक पुस्तक के अतिरिक्त महत्वपूर्ण पत्रिकाओं मे लगातार प्रकाशित
पुरुस्कार - कविता के लिये ’वागीश्वरी ’पुरुस्कार
किसी और के बारे में बात करने से
अच्छा और पुख्ता तरीका नहीं हो सकता
अपने ओैर अपने शहर के बारे में बात करने का
मैं क्या जान सकता हूँ
किसी और अदमी या शहर के बारे में
कितनी भी कोशिश करूँ
यदि जान भी लूँ किसी और शहर के बारे में
मुझे क्या हक है उसके बारे में बात करने का
मैं देश के किसी भी
शहर के दंगों पर बात करूँ
या देश के बाहर
किसी और देश के युद्ध के बारे में बात करूँ
या फिर बारूद में तब्दील हो चुके
ईराक, अफगान या पाकिस्तान
मैं किसी भी तरह के आतंक पर बात करूँ
दरअसल इसका मतलब
अपनी संस्कृति और सभ्यता पर बात करना होता है
जब भी बात करता हूँ
किसी औरत के बारे में
इससे अच्छा और कोई तरीका नहीं है मेरे पास
मेरे भीतर न जाने कब से पैदा हुई
स्त्री के बारे में बात करने का
मैं जब भी बात करता हूँ
किसी पेड़ के बारे में
इससे अच्छा कोई और तरीका नहीं है मेरे पास
अपने भीतर फूटती कोंपल
और जमे हुए दरख्तों के बारे में बात करने का
मैं जब भी बात करता हूँ
हवा पानी और धूप के बारे में
इससे अच्छा कोई और तरीका नहीं हो सकता मेरे पास
अपने भींतर बहते हुए
लहू पर बात करने का
मैं जब भी बात करता हूँ
हमेशा अपने और
अपने शहर के बारे में बात करता हूँ।
5 टिप्पणियाँ
मैं जब भी बात करता हूँ
जवाब देंहटाएंहवा पानी और धूप के बारे में
इससे अच्छा कोई और तरीका नहीं हो सकता मेरे पास
अपने भींतर बहते हुए
लहू पर बात करने का
मैं जब भी बात करता हूँ
हमेशा अपने और
अपने शहर के बारे में बात करता हूँ।
sashakt abhivyakti
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे बिम्बों में कही गयी कविता है।
जवाब देंहटाएंaap ki kavita padh ke bahut achchha laga .kitne sundr tarike se aap ne kahi baat
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai
saader
rachana
बहुत ही प्यारी रचना है...सच ही तो है हम जब भी बात करते हैं तो स्व्यं को ध्यान में रख कर ही..कवि ही इस सूक्ष्म बातों की कल्पना कर सक्ता है..बहुत-बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.