
मोहिन्दर कुमार का जन्म 14 मार्च, 1956 को पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में हुआ। आप राजस्थान यूनिवर्सिटी से पब्लिक-एडमिन्सट्रेशन में स्नातकोत्तर हैं।
आपकी रचनायें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं साथ ही साथ आप अंतर्जाल पर भी सक्रिय हैं। आप साहित्य शिल्पी के संचालक सदस्यों में एक हैं। वर्तमान में इन्डियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड में आप उपप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं।
जीवन का एक कटु पल देख कर
प्रयत्न में विराम न आये
एक चोट से घायल हो कर
राह तुम्हारी कहीं बदल ना जाये
कितनी देर ठहरेगा आवारा बादल
कब तक यह बौछार रहेगी
तूफान रहेंगे आते जाते
फिर मनचाही बयार बहेगी
आंखों में यूं आंसु भरकर
नजर न कर तू धूंधली अपनी
मुस्कानों के रथ पर चढ कर
पानी है तुझे मंजिल अपनी
कब सूखे हैं वृक्ष हरीले
पत्तों के गिर जाने से
नीड बनेंगे फिर से इन पर
बसन्त बहार के आने से
फिर से कलियां खिल आयेंगी
फिर से कोयल कूकेगी
फिर से फल आयेंगे इन पर
फिर ये डालें लद जायेंगी
पथ के क्षणिक ठहराव को
मृत्यू की तुम संज्ञा देकर
जीवन को रसहीन न करना
इस धरा पर जन्म लिया है
सबको ही है एक दिन मरना
देख ध्यान से समय को करवट लेते
जीवन नाम है परिवर्तन का
व ऋतुओं के आने जाने का
जब आन्नद का अमृत पिया है
पीडा में, न सम्बल ले, बहाने का
काल के कपाल पर कील ठोंक कर
अनवरत रख तू यात्रा जीवन की
राहें सुगम हो जायेंगी स्वंय ही
प्रकाशित हो, उज्जवल स्वर्णिम सी
8 टिप्पणियाँ
जीवन नाम है परिवर्तन का
जवाब देंहटाएंव ऋतुओं के आने जाने का
जब आन्नद का अमृत पिया है
पीडा में, न सम्बल ले, बहाने का
काल के कपाल पर कील ठोंक कर
अनवरत रख तू यात्रा जीवन की
राहें सुगम हो जायेंगी स्वंय ही
प्रकाशित हो, उज्जवल स्वर्णिम सी
बहुत अच्छी कविता।
Nice Poem.
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
sundr kvita hai .bdhai
जवाब देंहटाएंanytha mt lena ydi aap is pr thodi mhnt aur kr le to yh bhut sudr gey geet bn jayega khin 2 atkta hai yh main antv bhav se kh rha hoon isibhav se aap len
dr. ved vyathit
सुन्दर भाव भरी रचना
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा परिवर्तन का नाम ही जीवन है
सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि कविता को गीत बनाने के प्रयत्न में कवि के अनुभव किये भाव खो जाने की सम्भावना है... कविता के रूप में यह रचना सशक्त है.
मोहिंदर जी,
जवाब देंहटाएंकविता में निहित तथ्य को ह्रदय से स्वीकार करती हूँ. मृत्यु के प्रभाव को झेलना मृत्यु से भी भयावह होता है, फिर भी जीवन के प्रति साकारात्मक होने का जो सन्देश आपने दिया है, वह निःसंदेह प्रशंसनीय है. पँक्तियों की लयबद्धता के कारण कविता की गरिमा में वृद्धि हुई है.एक उच्चकोटि के प्रस्तुतीकरण के लिए मैं आपके और " साहित्य - शिल्पी " के प्रति आभारी हूँ. धन्यवाद.
----किरण सिन्धु.
बहुत गभीर रचना मिली पढने को
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
;((
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.