कोपनहेगन वार्ता को विफल ही कहा जायेगा। पर्यावरण को ले कर एक तथ्य सर्वाधिक महत्व का है कि - THINK GLOBALLY BUT ACT LOCALLY. पर्यावरण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इसी विषय को ले कर "चैनल वन" पर निरंतर प्रसारित हो रहे कार्यक्रमों की श्रंख़ला में साहित्य शिल्पी के कवि/साहित्यकारों नें अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी चिंताओं को अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम के प्रस्तोता हैं - देवेश वशिष्ठ "खबरी"।
गंगा पर "श्रीकांत मिश्र कांत"
पर्यावरण पर "योगेन्द्र मौदगिल "
5 टिप्पणियाँ
पर्यावरण पर चिंता साहित्यकारों का भी काम है।
जवाब देंहटाएंमिश्र जी और मौदगिल की के कविता के माध्यम से इस विषय पर विचार सुनना सुखद रहा!!
जवाब देंहटाएंपर्यावरण पर दोनो कवियों की चिंता को सुन कर अच्छा लगा। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर और विचरोत्तेजक प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंश्रीकांत मिश्र कांत जी ने गंगा पर ऐतिहासिक चर्चा कर कविता सुनाई,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत.. आओ अब जिए प्रकृति के वास्ते...
मौदगिल जी ने मंत्रमुग्ध कर दिया.
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