
१
साधना हो सफल नर्मदा- नर्मदा.
वंदना हो विमल नर्मदा-नर्मदा.
संकटों से न हारें, लडें,जीत लें.
प्रार्थना हो प्रबल नर्मदा-नर्मदा.
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' नें नागरिक अभियंत्रण में त्रिवर्षीय डिप्लोमा. बी.ई.., एम. आई.ई., अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र में एम. ऐ.., एल-एल. बी., विशारद,, पत्रकारिता में डिप्लोमा, कंप्युटर ऍप्लिकेशन में डिप्लोमा किया है। आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है। आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि। वर्तमान में आप अनुविभागीय अधिकारी मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रूप में कार्यरत हैं।
नाद अनहद गुंजाती चपल हर लहर.
नृत्यरत हर भंवर नर्मदा-नर्मदा.
धीर धर पीर हर लें गले से लगा.
रख मनोबल अटल नर्मदा-नर्मदा.
मोहिनी दीप्ति, आभा मनोरम नवल.
नाद निर्मल नवल नर्मदा-नर्मदा.
सिर कटाते समर में झुकाते नहीं.
शौर्य-अर्णव अटल नर्मदा-नर्मदा.
सतपुडा विन्ध्य मेकल सनातन शिखर
सोन जुहिला सजल नर्मदा-नर्मदा.
आस्था हो शिला, मित्रता हो 'सलिल'.
प्रीत-बंधन तरल नर्मदा-नर्मदा.
* * * * *
२
खोटे सिक्के हैं प्रचलन में.
खरे न बाकी रहे चलन में.
मन से मन का मिलन उपेक्षित.
तन को तन की चाह लगन में.
अनुबंधों के प्रतिबंधों से-
संबंधों का सूर्य गहन में.
होगा कभी, न अब बाकी है.
रिश्ता कथनी औ' करनी में.
नहीं कर्म की चिंता किंचित-
फल की चाहत छिपी जतन में.
मन का मीत बदलता पाया.
जब भी देखा मन दरपन में.
राम कैद ख़ुद शूर्पणखा की,
भरमाती मादक चितवन में.
स्नेह-'सलिल' की निर्मलता को-
मिटा रहे हम अपनेपन में.
* * * * *
३
बिना नाव पतवार हुए हैं.
क्यों गुलाब के खार हुए हैं.
दर्शन बिन बेज़ार बहुत थे.
कर दर्शन बेज़ार हुए हैं.
तेवर बिन लिख रहे तेवरी.
जल बिन भाटा-ज्वार हुए हैं.
माली लूट रहे बगिया को-
जनप्रतिनिधि बटमार हुए हैं.
कल तक थे मनुहार मृदुल जो,
बिना बात तकरार हुए हैं.
सहकर चोट, मौन मुस्काते,
हम सितार के तार हुए हैं.
महानगर की हवा विषैली.
विघटित घर-परिवार हुए हैं.
सुधर न पाई है पगडण्डी,
अनगिन मगर सुधार हुए हैं.
समय-शिला पर कोशिश बादल,
'सलिल' अमिय की धार हुए हैं.
* * * * *
11 टिप्पणियाँ
साहित्य शिल्पी पर आते ही आपकी तीन गीतिकाएं देखकर मन बाग़-बाग़ हो गया....
जवाब देंहटाएंनमन स्वीकार करें मेरा....
सादर
गीता पंडित
तीनों ही गीतिकायें बहुत अच्छी है।
जवाब देंहटाएंसतपुडा विन्ध्य मेकल सनातन शिखर
जवाब देंहटाएंसोन जुहिला सजल नर्मदा-नर्मदा.
मन का मीत बदलता पाया.
जब भी देखा मन दरपन में.
राम कैद ख़ुद शूर्पणखा की,
भरमाती मादक चितवन में.
बिना नाव पतवार हुए हैं.
क्यों गुलाब के खार हुए हैं.
सभी पंक्तियाँ उद्धरित की जा सकती हैं।
बहुत अच्छी रचनायें हैं, बधाई।
जवाब देंहटाएंपहली एक सुन्दर , भाव पूर्ण लगी |
जवाब देंहटाएंदूसरी नीतिपूर्ण लगी |
तीसरी जैसे ग़ज़ल | गेय लगी |
बधाई |
अवनीश तिवारी
संकटों से न हारें, लडें,जीत लें.
जवाब देंहटाएंप्रार्थना हो प्रबल नर्मदा-नर्मदा.
kitne sunder bhav hai .kya sunder geet hai.
मन का मीत बदलता पाया.
जब भी देखा मन दरपन में.
राम कैद ख़ुद शूर्पणखा की,
भरमाती मादक चितवन में.
bahut khoob.bahut sunder
pranam
saader
rachana
ADBHUT.........SHABD
जवाब देंहटाएंADBHUT.........SHILP
ADBHUT ........SAHITYA
ADBHUT.........SANYOJAN
ADBHUT.........SAMPREKSHAN
ADBHUT.........SADHARNIKARAN
ADBHUT.........SAHAJTA
ADBHUT.........SARALTA
ADBHUT.........SANJEEV SALIL
MERA VINAMR NAMAN AVAM SHUBHKAMNAYEN SWEEKAR KAR KRITARTH KARE AACHARYA............
आचार्य संजीव की तीसरी कविता मुझे बेहद पसंद आयी।अन्य कवितायें भी बेहतर हैं। इनकी यह कविता बताती है कि इनमें गजल -विधा की अनंत क्षमताएँ मौजूद है। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी .. तीनो गीतिकाएं एक से बढकर एक .. बहुत बहुत बधाई आपको !!
जवाब देंहटाएंहर गीतिका संपूर्ण और प्रभावित करने वाली।
जवाब देंहटाएंAACHAARY JI KI TEENO RACHNAON SE MAHAKTA SAAHITY SHILPI LAJAWAAB LAG RAHA HAI......DEJOD RACHNAAYEN HAIN... NAMAN HAI MERA SALIL JI KO
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.