
ठोंक दिया गया है
इनकार की कीलों से
मैं बन गया हूं वीणा !
कवि परिचय:-
गाडरवारा, जिला नरसिंहपुर में 28 मार्च, 1988 को जन्मे विपुल शुक्ला की पूरी शिक्षा-दीक्षा भोपाल के निकट होशंगाबाद मे हुई। इन्होंने जिस विद्यालय मे शिक्षा ग्रहण की उसी में इनकी माताश्री श्रीमती आभा शुक्ला हिन्दी की शिक्षिका थीं। काव्य प्रतिभा इन्हें अपनी माँ से विरासत मे मिली है। अपनी पहली कविता इन्होंने विद्यालय की पत्रिका "प्रगति" के लिये कक्षा ग्यारहवीं में लिखी।
वर्तमान में रसायन अभियांत्रिकी के छात्र विपुल अनेक प्रतिष्ठित अंतर्जाल पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं तथा अनेक कवि-सम्मेलनों में भी शिरकत कर चुके हैं
वर्तमान में रसायन अभियांत्रिकी के छात्र विपुल अनेक प्रतिष्ठित अंतर्जाल पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं तथा अनेक कवि-सम्मेलनों में भी शिरकत कर चुके हैं
एकांत के हाथ,
जब छेडते हैं तार
तो निकलती हैं
कुछ मौन ध्वनियां..
नयनों की सीमाओं में संरक्षित
विशाल समुद्र में
स्नान करते हुये
ये ध्वनियां चाहती हैं
कि उसमें डूबकर
कर लें आत्महत्या..!
पर लहरों के वेग से
आ लगती हैं किनारे
फिर..
अपने केश खोल
बैठ जाती हैं चुपचाप
अन्धेरा फैलाती
सच की लौ के पास !
तभी
दिल के दरवाज़े को
चीरती आती है याद
और लेती है
एक लम्बा करुण आलाप..
सचमुच
एक बेजोड और अदभुत
शास्त्रीय गायिका है याद !
एक्दम मौन होता है
उसका गायन !
उसे सुनकर
बेसुध हो जाते हैं शब्द
कुछ पागल शब्द तो
जबरन..
बैठ जाते हैं कागज़ पर
और गीत बनकर
करने लगते हैं
मौन स्वरों का आलिंगन!
तब कसमसाती है याद..
उसे असह्य है
शब्दों का बाहुपाश!
वो करती है चीत्कार..
और बेसुरा हो जाता है
जीवन का संगीत!
7 टिप्पणियाँ
Nice Poem
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
विपुल जी ;
जवाब देंहटाएंप्रेम की अभिव्यक्ति को एक नया रूप देती हुई रचना .. भाव और बिम्बों का सहज और सार्थक प्रयास ...!!!
प्रेम अपने आप में एक सम्पूर्णता है ..आपने अंत को बहुत ही शशक्त रूप से पेश किया है ..
बधाई स्वीकार करे..
विजय
इस वीणा ने खूब झंकारें हैं कहीं कहीं ऐसा लगा के तार माध्यम ले में है मगर वो शायद उसी ले में अछि लगी ... बहुत अछि कविता ढेरो बधाई इस नव जवान कवी को ...
जवाब देंहटाएंअर्श
संगीत है यह कविता
जवाब देंहटाएंकसमसाती है याद..
जवाब देंहटाएंउसे असह्य है
शब्दों का बाहुपाश!
वो करती है चीत्कार..
और बेसुरा हो जाता है
जीवन का संगीत
सुन्दर।
@निधि
मुक्त छ्न्द कविता है यह, इसमें लय तो रहती है लेकिन संगीत नहीं। मतलब इसे गाया नहीं जा सकता।
क्या बात है भाई........जबरदस्त.....
जवाब देंहटाएं"वीणा" नाम की सार्थकता साबित कर दी तुमने। कसमसाते भावों को शब्द देना आसान नहीं होता.....लेकिन तुम इसमें सफ़ल हुए हो।
बधाई स्वीकारो,
विश्व दीपक
MADHUR HAI IS VEENA KI JHANKAAR ....
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.