जब कभी बंद किताबों के सफ्हे खोलता हूं तो कुछ सूखे हुए फूलों से किरदार उतर आते हैं गए दिनों में जब आग लगी थी शहर के कदीम हिस्से में तो आये थे मुझे गले लगाने उन्हें लत थी मेरी किताबों में सोने की अब किताबों के जले पन्नो से खुश्बुएं भर आती हैं
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1 टिप्पणियाँ
सुन्दर
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