HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

क्या मालुम था? [कविता] - प्रवीण शुक्ला

क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
क्या मालुम था जीवन अर्पण ,,
ओछा आँका जाएगा ,,,
क्या मालुम था मरने पर भी ,,
अपमानित होकर रोना होगा ,,,
मेरी विधवाओं को पल पल ,,,
दर्दो को ही ढोना होगा ....
क्या मालुम था बलिदानी किस्सा ,,
अखबारों मे खो जाएगा,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
उंगली उठेगी बलिदानों पर ,,
ये सत्कार भला होगा ,,,
लहू अश्रु रोयेगा वो ,,,
जो बलिदानी चाल चला होगा ,,,
आग लगेगी सीने मे ,,,
रो आसूं पी जाएगा ,,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
खूब भुनायेगे बलिदानों को ,,,
वो वोटो की खातिर ,,,
खूब सुनायेगे भाषण ,,,
वो नोटों की खातिर ,,,
नेताओं की साझ सजेगी ,,,
प्यासा सैनिक रह जाएगा ,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
क्या मालुम था वीरो का अर्पण ,,,
पैसे से तोला जायेगा ,,,
क्या मालुम था बलिदानों को ,,,
उपहासों मे बोला जाएगा,,,
धूल पड़ेगी तस्वीरों पर ,,,
कुछ मोल नहीं रह जायेगा ,,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
क्या मालुम था जीवन अर्पण ,,
ओछा आँका जाएगा ,,,

एक टिप्पणी भेजें

10 टिप्पणियाँ

  1. वर्तमान विसंगतियों को चित्रित करती मार्मिक रचना. मेरे कई पूर्वज स्वतंत्रता के प्रयासों में न-मन-धन से समर्पित रहे पर उनमें से किसी ने यह नहीं सोचा था की आज़ादी के बाद कुछ सुविधाएँ, यश, नाम या पद की दावेदारी होगी. वे और अन्य भी केवल स्वतंत्र देश की कामना में मर मिटे. आज़ादी के बाद सरकारों ने सुविधाएँ और राजनैतिक दलों ने पद देकर शेष बचे जनों में लालसा जगाई. बापू ने इससे बचने के लिए कांग्रेस भंग करने की राय दी थी जो सुनी नहीं गयी. अस्तु...सामयिक और सशक्त रचना.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  3. शानदार रचना है । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई। आपने अपने इस रचना के माध्यम से सच्चाई को उकेर कर रख दिया है।

    जवाब देंहटाएं
  4. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  5. तब न मालूम था
    अब सब मालूम है
    पर क्‍या कर सकते हैं
    आजादी होते हुए भी
    विवश हैं अभिशप्‍त हैं

    जवाब देंहटाएं
  6. aaj ke samaaj ka chitran karti ..... swatantrata sainaani ki daastan lajawaab tarah se prastut kari hai aapne.........

    जवाब देंहटाएं
  7. राजनैतिक विसंगतियों को उजागर करती एक सशक्त रचना जहां एक वीर सैनानी की जीवन आहूती और एक आंतकवादी में कोई फ़र्क न कर पाने की पीडा झलकती है

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...